ज़माने भर का रंजिस हो , खुनी घटा छाई हो ,
दर्द तो होता है जब खुद से खुद की लड़ाई हो !
हौसलें दिल में थे मुकद्दर हाथों में था, मजा भी ,
आता है जीत हाथों में हो , पर कसमें खाई हो !
ज़माने भर का रंजिस हो , खुनी घटा छाई हो ,
दर्द तो होता है जब खुद से खुद की लड़ाई हो !
हौसलें दिल में थे मुकद्दर हाथों में था, मजा भी ,
आता है जीत हाथों में हो , पर कसमें खाई हो !