ख़ामोश सहमे परिंदों की बेचैन सी उड़ानें
ख़ामोश सहमे परिंदों की बेचैन सी उड़ानें
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उजले ख़्वाबों के तले 
कुछ अंधेरे घने हैं
ख़ामोश सहमे परिंदों की
बेचैन सी उड़ानें हैं

चारों तरफ बस
नाचता हुआ कोलाहल है
दौड़ते-भागते लगते
बदहवास लोग हैं

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