Sep 14 2016 11:02 PM
ज़िंदगी के हर मोड़ पर चौकन्ना रहता हूं, न जाने कब ज़िंदगी का हम सफ़र मिल जाए! सच में कुछ ऐसी ही तो होती है ज़िंदगी. एक छोटे से बस के सफ़र में यूं खामख़ा लोग मिलते हैं, खामख़ा की बातें होती हैं और फ़िर खामख़ा ही दिल लग जाता है.
इस शॉर्ट फ़िल्म की कहानी इन्हीं छोटी-छोटी बातों पर आधारित है. एक प्यारी सी स्टोरी को बड़े संभाल कर पेश किया गया है. इस कहानी भूमिका निभा रहीं हैं मंजरी और नायक हैं हर्षवर्धन.
इसकी कहानी के निर्माता हैं विनय मिश्रा, प्रीति अली, पल्लवी रोहतगी और राघवन भारद्वाज.फिल्म का निर्देशन किया है आरती ने. इस फ़िल्म को देखने के बाद आपको भी शायद इस कहानी से प्यार हो जाएगा. आखिर प्यार भी तो खामख़ा ही होता है.
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