कोच्चि: केरल में गत वर्ष दुष्कर्म और अप्राकृतिक सम्बन्ध के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन करने वाली चार ननों को स्थानांतरण के आदेश दे दिए गए थे. इन ननों को शनिवार को उस समय राहत मिली, जब चर्च के अफसरों ने उनके स्थानांतरण आदेश को ख़ारिज कर दिया और उन्हें अपनी सेवाएं तब तक जारी रखने की इजाजत दे दी, जब तक यह मामला न्यायलय में चल रहा है.
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इस बारे में सिस्टर अनुपमा ने कहा है कि, "हमें जालंधर के नए बिशप से एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें कहा गया है कि जब तक मामला समाप्त नहीं हो जाता, तब तक तमाम स्थानांतरित ननों को कुरुविलांगड कॉन्वेंट में रखा जा सकता है." स्थानांतरण आदेशों को रद्द करने की खबर चार ननों में से एक नन अनुपमा ने कोट्टायम में आयोजित की गई एक सार्वजनिक बैठक में पढ़ी. यह बैठक उनके स्थानांतरण के विरोध में आयोजित की गई थी. इस 'विरोध' बैठक में ईसाई समाज की अच्छी साझेदारी देखने को मिली. किन्तु मुसीबत तब पैदा हुई, जब बिशप फ्रैंको के हमदर्द समझे जाने वाले पांच लोगों ने कार्यक्रम स्थल पर जमकर हंगामा किया. किन्तु पांचों प्रदर्शनकारियों को पुलिस तुरंत हिरासत में ले लिया गया और कार्यक्रम स्थल से उन्हें दूर दिया गया.
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आपको बता दें कि गत माह, इन चार ननों को जो वर्तमान में कुरुविलांगड कॉन्वेंट से सम्बंधित हैं, उन्हें देश में चार अलग-अलग जगहों पर स्थानांतरित किया गया था. इसके लिए ननों ने केरल के सीएम पिनरई विजयन से मामले में दखल देने की मांग की थी, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकलते देख उन्होंने शनिवार को विरोध बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया. बता दें कि 2014 और 2016 के बीच ननों के यौन उत्पीड़न के आरोपी जालंधर के पूर्व बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ चल रहे मामले में ये चार नन अहम् गवाह हैं.
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