मंकी फीवर: देश में आई नयी खतरनाक बीमारी, जानिए लक्षण-कारण और बचाव के तरीके
मंकी फीवर: देश में आई नयी खतरनाक बीमारी, जानिए लक्षण-कारण और बचाव के तरीके
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केरल के वायनाड जिले में स्थित थिरुन्नेल्ली ग्राम पंचायत के अंदर मौजूद आदिवासी बस्ती पनवेली में ‘मंकी फीवर’ का मामला सामने आया है। आप सभी को बता दें कि यहाँ 24 साल के व्यक्ति को मंकी फीवर से ग्रस्त पाया गया है। बताया जा रहा है इस समस्या को लेकर लोगों के मन में काफी सवाल पैदा हो रहे हैं। जैसे- मंकी फीवर के लक्षण (Monkey Fever symptoms) क्या हैं? यह एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है या नहीं? मंकी फीवर कैसे (Monkey Fever Causes) फैलता है? अब आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

मंकी फीवर का इतिहास- मेडिकल भाषा में मंकी फीवर को क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD- Kyasanur Forest disease) कहते हैं। आप सभी को बता दें कि पहली बार इस बुखार की पहचान साल 1957 में की गई थी और इस रोग का नाम क्यासानूर जिले पर पड़ा जो कि कनार्टक में स्थित है। इसी के साथ इस रोग को आम भाषा में मंकी फीवर इसलिए कहते हैं क्योंकि इस रोग के कारण काफी सारे बंदरों की मौत हो गई थी।

मंकी फीवर के लक्षण- इसके शुरुआती लक्षणों की बात की जाए तो व्यक्ति को तेज बुखार, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द महसूस करना, सिर दर्द की समस्या हो जाना आदि लक्षण नजर आ सकते हैं। आप सभी को बता दें कि मंकी फीवर के दौरान व्यक्ति को 104℉ बुखार तक हो जाता है और यह बुखार लगभग 2 हफ्तों तक व्यक्ति में नजर आ सकता है। इसके अलावा कुछ लक्षण हैं जो इस प्रकार हैं-

1 – व्यक्ति को दस्त की समस्या हो जाना
2 – मतली और उल्टी की समस्या हो जाना
3 – लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाना
4 – आंखों में सूजन की समस्या होना
5 – आंखों में लालिमा छा जाना
6 – प्लेटलेट का कम होना
7 – फोटोफोबिया की समस्या हो जाना यानि तेज रोशनी पर आंखों में दर्द महसूस करना

वहीं जब व्यक्ति गंभीर स्थिति में होता है तो मसूड़ों में खून की समस्या, नकसीर की समस्या, शरीर के अंदरूनी अंगों से खून आने की समस्या हो सकती है।

मंकी फीवर के कारण- यह जूनोटिक रोग है। इसका मतलब है कि जानवरों से मनुष्य में फैलने वाला रोग है, जब व्यक्ति किसी संक्रमित जीवित या मृत जानवर के सीधे संपर्क में आते हैं तब यह समस्या हो सकती है। वैसे तो अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है कि मंकी फीवर इंसानों से इंसानों में फैल रहा हो। अगर किसी व्यक्ति को कोई संक्रमित कीट काट ले, तब भी मंकी फीवर की समस्या हो सकती है।

मंकी फीवर से बचाव- साल 1990 में मंकी फीवर के लिए एक टीकाकरण अभियान शुरू किया गया। जी हाँ और इसकी एक महीने में दो डोज लगती हैं। आपको बता दें कि डोज 6 से 9 महीने के अंदर बच्चों को दी जाती हैं। वहीं इसके बाद भी करीब 5 साल तक प्रतिवर्ष बच्चों को बूस्टर डोज की जरूरत पड़ती है।

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