चन्द्रमा के प्रतिप्रभाव से बनता है केमद्रुम योग
चन्द्रमा के प्रतिप्रभाव से बनता है केमद्रुम योग
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पृथ्वी पर सबसे ज्यादा असर डालने वाला ग्रह चन्द्रमा है और इस प्रभाव का असर मनुष्य  के मन और संस्कारों पर पड़ता है. इसलिए चन्द्रमा से बनने वाले हर योग को इतना महत्व दिया जाता हैं. आपको बता दे कि चन्द्रमा से तीन प्रकार के शुभ योग बनते हैं. अनफा, सुनफा और दुरधरा और एक अशुभ योग भी बनता है जिसका नाम है केमद्रुम.

यदि किसी जातक की कुंडली में केमद्रुम योग होता है तो उसके बहुत सारे शुभ योग निष्काम हो जाते हैं साथ ही ऐसा होने से व्यक्ति को मानसिक पीड़ा और दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता है. 

शास्त्रों के अनुसार केमद्रुम योग तब बनता है जब चन्द्रमा के दोनों तरफ कोई ग्रह न हो या उस पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो, केमद्रुम योग बन जाता है.ऐसी दशा में व्यक्ति को मानसिक रोग और दरिद्रता का सामना भी करना पड़ता है. इसके प्रभाव से कभी-कभी एपीलेप्सी,धन को लेकर उतार चढ़ाव,माता के सुख से वंचित रहने  जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ता है.

केमद्रुम योग से बचने के उपाय :- शिव जी की भक्ति से केमद्रुम योग कम हो जाता है. नित्य प्रातः माता के चरण स्पर्श और सायं "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः" का जाप करना चाहिए . प्रत्येक सोमवार को दूध , चावल या चीनी का दान करना चाहिए. शरीर पर चांदी जरूर धारण करना चाहिए.महीने में एक बार शिवलिंग पर सफेद चंदन लगाकर जल चढ़ाना चाहिए.

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