'आज मैं ऊपर आसमां नीचे', 'मेरा पिया घर आया', 'प्यार हुआ चुपके से', 'डोला रे डोला' जैसे मशहूर फिल्मी गीत गाने वाली सुरीली आवाज की मल्लिका कविता कृष्णमूर्ति 25 जनवरी को 57 साल की हो जाएंगी। इस बात को ज्यादा वक्त नहीं गुजरा, जब हिंदी फिल्मों में पार्श्व गायिकी का दूसरा नाम कविता कृष्णमूर्ति हुआ करता था।यही कविता जब आठ साल की थीं तो उन्होंने एक गायन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीता। तभी से वह बड़ी होकर एक मशहूर गायिका बनने का सपना देखने लगी थीं।
हिंदी सिनेमा जगत की लोकप्रिय पार्श्व गायिका कविता का जन्म 1958 में नई दिल्ली में हुआ। संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उन्हें घर में ही मिली।उन्होंने बाद में बलराम पुरी से शास्त्रीय संगीत सीखा। नौ साल की उम्र में कविता को स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ बांग्ला भाषा में एक गीत गाने का मौका मिला। यहीं से उन्होंने पाश्र्वगायन के क्षेत्र में आने का फैसला किया।
मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में स्नातक करने के दौरान कविता हर प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं। यही वक्त था, जब एक कार्यक्रम में मशहूर गायक मन्ना डे ने उनका गाना सुना और उन्हें विज्ञापनों में गाने का मौका दिया। साल 1980 में कविता ने अपना पहला पार्श्व गीत 'काहे को ब्याही' (मांग भरो सजना) गाया। हालांकि यह गाना बाद में फिल्म से हटा दिया गया था, लेकिन कविता की प्रतिभा दबने वाली नहीं थी। और यह गान बड़ा हिट रहा।
कविता वायलिन वादक एल. सुब्रमण्यम की पत्नी हैं।उन्हें चार बार सर्वश्रेष्ठ गायिका का फिल्मफेयर अवार्ड मिला है। साल 1995 में '1942 ए लव स्टोरी', 1996 में 'याराना', 1997 में 'खामोशी' और साल 2003 में फिल्म 'देवदास' के लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला. यही नहीं, साल 2005 में उन्हें देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान, पद्मश्री मिला। कविता आज भी अपनी गायकी से दर्शको का मनोरंजन कर रही है।