'कौन बनेगा करोड़पति' जीतते ही बर्बाद हुआ ये शख्स, कहानी कर देगी आपको हैरान
'कौन बनेगा करोड़पति' जीतते ही बर्बाद हुआ ये शख्स, कहानी कर देगी आपको हैरान
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बॉलीवुड फिल्मों के मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) द्वारा होस्ट किए गए क्विज शो 'कौन बनेगा करोड़पति' (Kaun Banega Crorepati) के पांचवें सीजन में सुशील कुमार ने 5 करोड़ रुपये जीते थे। इतनी बड़ी रकम जीतने पर व्यक्ति अपने सपनो को पूरा करने में लग जाता है तथा ऐसा ही कुछ सुशील कुमार (Sushil Kumar) के साथ हुआ, जो इतनी बड़ी राशि जीतकर गहरे तनाव में चले गए थे। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर अपनी परेशानी के बारे में पोस्ट किया तथा कहा कि कैसे कौन बनेगा करोड़पति में जीतना उनके जीवन का सबसे खराब दौर था। सुशील कुमार अब नॉर्मल लाइफ में लौट आए हैं, उन्होंने पढ़ाना फिर से आरम्भ कर दिया है, स्मोकिंग को अलविदा कह दिया तथा पर्यावरणविद् बन गए हैं। 

सुशील की एफबी पोस्ट का कैप्शन दिया गया था, 'द वर्स्ट पीरियड ऑफ माई लाइफ।' सुशील ने लिखा कि 2015-2016 मेरी जिंदगी का सबसे चुनौतीपूर्ण वक़्त था। मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। मैं एक स्थानीय हस्ती था तथा बिहार में कहीं न कहीं एक महीने में 10 या कभी-कभी 15 दिन भी समारोहों में सम्मिलित होता था। मैं पढ़ाई से दूर होता जा रहा था और क्योंकि मैं एक स्थानीय हस्ती था, मैंने उन दिनों मीडिया को बहुत गंभीरता से लिया। कभी-कभार पत्रकार मेरा इंटरव्यू लेते तथा मेरे बारे में लिखते थे। मैं उन्हें अपने बिजनेस के बारे में बताता था, जिससे मैं उन्हें बेरोजगार ना लगूं। हालांकि, वो बिजनेस कुछ दिनों पश्चात् ही बंद हो गए। 

उन्होंने आगे 'कौन बनेगा करोड़पति' के बाद मूर्ख बनने की बात कही, उन्होंने कहा कि 'कौन बनेगा करोड़पति' के बाद, मैं एक परोपकारी बन गया, जो 'गुप्त दान' का आदी था तथा एक महीने में हजारों कार्यक्रमों में सम्मिलित होता था। इस कारण कई बार लोगों ने मुझे धोखा दिया, जिसका पता मुझे बाद में दान करने के बाद ही लगा। इस कारण मेरी पत्नी के साथ मेरे संबंध आहिस्ता-आहिस्ता खराब होते जा रहे थे। वह अक्सर बोलती थी कि मुझे नहीं पता कि सही और गलत लोगों के बीच अंतर कैसे किया जाता है तथा मुझे भविष्य की चिंता नहीं थी। हम अक्सर इस पर लड़ते रहते थे। आगे सुशील ने कहा कि अपने बिजनेस के कारण मैं जामिला मिलिया में जर्नलिज्म का कोर्स करने वाले कुछ बच्चों से मिला। कुछ IIMC और कुछ JNU के विद्यार्थियों से भी बात की। मेरी मुलाकात कुछ थिएटर आर्टिस्ट के साथ भी हुई । मगर जब ये विद्यार्थी और कलाकार किसी विषय के बारे में बात करते तो मुझे डर लगता था कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी क्यों नहीं है। आहिस्ता-आहिस्ता, मुझे शराब और धूम्रपान की लत लग गई। जब भी मैं दिल्ली में एक सप्ताह के लिए रुकता था, मैं सात अलग-अलग ग्रुप्स के साथ शराब और धूम्रपान करता था। आगे सुशील ने आगे कि वो कंगाल कैसे हुए, उन्होंने लिखा 'और अब, मैं दिवालिया कैसे हो गया।।।? आपको कहानी थोड़ी 'फिल्मी' लगेगी उस रात, जब मैं फिल्म 'प्यासा' देख रहा था, जो अपने क्लाइमैक्स पर थी, मेरी पत्नी चिल्लाते हुए आती है तथा बोलती है कि मैं एक ही फिल्म को बार-बार देखकर पागल हो जाऊंगा। उसने मुझे कमरा छोड़ने के लिए बोला। मैंने अपना लैपटॉप बंद किया तथा टहलने निकल गया। मैं निराश था क्योंकि हमने एक महीने से अधिक वक़्त से बात नहीं की थी। और जब मैं चल रहा था, एक इंग्लिश अखबार के एक पत्रकार ने फोन किया। जब सब कुछ ठीक चल रहा था, अचानक उसने मुझसे कुछ पूछा जिससे मैं चिढ़ गया, तो मैंने अचानक उसे बताया कि मेरे सारे रूपये खत्म हो गए हैं तथा मेरे पास दो गायें हैं और दूध बेचकर और उससे कुछ रूपये कमाकर बच रहा हूं और उसके बाद आप सभी उस खबर के प्रभाव से वाकिफ होंगे। इसके तुरंत बाद, लोगों ने मुझसे संपर्क साधना बंद कर दिया। मुझे कार्यक्रमों में बुलाना भी बंद कर दिया गया तथा तभी मुझे यह सोचने का वक़्त प्राप्त हुआ कि मुझे आगे क्या करना चाहिए। 

सुशील ने लिखा कि इस बीच, मेरी पत्नी और मेरे बीच बहुत बड़ा झगड़ा हुआ। तत्पश्चात, वह अपने मायके चली गई और तलाक के लिए कहा। तब मुझे एहसास हुआ यदि मुझे अपनी शादी को बचाना है तो मुझे एक फिल्म डायरेक्टर बनना पड़ेगा तथा स्वयं को एक नई पहचान दिलानी होगी। इसलिए सुशील ने फिल्म डायरेक्टर बनने की सोची और वो मुंबई आ गए। मगर वहां जाकर उन्हें एहसास हुआ कि वह कोई ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो डायरेक्टर बनने के लिए मुंबई आए हैं, बल्कि वो एक भगोड़े हैं, जो सच्चाई से दूर भागता है। खुशियां छोटी-छोटी बातों में छिपी होती हैं। जितना हो सके लोगों की सहायता करने की कोशिश करना चाहिए जिसकी शुरुआत अपने घर/गांव से करनी चाहिए। मैंने तीन स्क्रिप्ट लिखीं जो एक प्रोडक्शन हाउस को पसंद आईं तथा उन्होंने मुझे इसके लिए 20 हजार रुपये दिए। मुंबई छोड़ने के बाद, सुशील घर वापस चले गए तथा एक नया जीवन आरम्भ किया। उन्होंने बच्चों को पढ़ाना आरम्भ किया तथा वर्ष 2019 में स्मोकिंग छोड़ दी तथा कई परियोजनाओं से जुड़ गए, जिससे उन्हें शांति प्राप्त हुई। सुशील कुमार ने यह भी बताया कि उन्हें SBI बैंक द्वारा उनकी मोतिहारी शाखा के शीर्ष 20 जमाकर्ताओं में समिल्लित होने के लिए सम्मानित किया गया था। 

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