गनट जाति के लोगों के लिए बना एक मात्र कब्रिस्तान का हाल बुरा है. कभी इसी समाज के लोगों के द्वारा गौशाला इलाके में दिए गए पांच एकड़ की कब्रिस्तान में अब अतिक्रमण होता जा रहा है. दरअसल, इसमें चहारदीवारी का निर्माण नहीं हो पाया है, ऐसे में इसपर अतिक्रमण रोकने में भी दिक्कत हो रही है. बड़ी बात यह है कि मुसलमान समुदाय से होने और इस्लाम धर्म को मानने के बावजूद नट जाति के लोगों को मुसलमानों के कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति नहीं है. ऐसे में नट जाति के लगभग दो हज़ार लोगों को अपने फैमिली मेंबर्स की मृत्यु के पश्चात उन्हें मिट्टी मंजिल (दफनाने) में बहुत दिक्कत होती है.
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नट जाति के फिरोज खलीफा बताते है कि 1942 में उनके चाचा संतलाल खलीफा की मृत्यु के पश्चात उनके पिताजी ने अपने भाई को सुपुर्द-ए- खाक किया है. इस इलाके में कब्रगाह के लिए यह जमीन खरीद कर सरकार को दान में दे दी थी. किन्तु, अब तक इस कब्रिस्तान की घेराबंदी तक नहीं हुई है. इसी वजह से बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
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इकराम खलीफा का मानना है कि वह लोग इस्लाम धर्म को ही मानते हैं, किन्तु नट जाति के होने के कारण शहरों के अन्य कब्रगाहों में उन लोगों को अपनी फैमिली मेंबर्स को दफनाने की इजाजत नहीं है. इसलिए वे लोग सरकार और प्रशासन से इस कब्रगाह को घेराबंदी कर इस कब्रगाह का कायाकल्प करने की मांग कर रहे हैं.उधर, जिला औकाफ कमेटी के सचिव मुजीबउर रहमान कहते हैं कि हो सकता है कि अल्पसंख्यक कार्यालय को नट जाति को लेकर कोई भ्रम है. ये लोग अगर इस्लाम को मानते हैं और अल्पसंख्यक समुदाय से हैं तो आवेदन के साथ आधार कार्ड लगाकर जिला औकाफ कमेटी में आवेदन करें. निश्चित तौर पर महकमें की ओर से उन लोगों की मांग पर विचार करते हुए इसके कायाकल्प का प्रयास हो रहा है.
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