चेतन भगत बाज़ारू है: काशीनाथ सिंह
चेतन भगत बाज़ारू है: काशीनाथ सिंह
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नई दिल्ली: हाल ही में साहित्य पुरस्कार लौटाने के बाद चर्चा में आए काशीनाथ सिंह ने युवा लेखक चेतन भगत को 'बाज़ारू' कहा. काशीनाथ की माने तो चेतन भगत में लेखको जैसी साहित्य के प्रति गंभीरता नहीं है. अपने विचारो को समझाने के लिए काशीनाथ ने चेतन भगत की तुलना मशहूर हिंदी लेखक गुलशन नंदा से की. गुलशन नंदा के उपन्यास 1970 में इतने प्रसिद्ध थे की उपन्यास पर आधारित कई फिल्मे भी बनाई जा चुकी है पर नंदा की छबि  गंभीर साहित्यकार की नहीं रही थी. जब की खुद काशीनाथ की लिखी 'काशी का अस्सी' पुस्तक पर 'मोहल्ला अस्सी' फिल्म बनाई गई थी. इस फिल्म में सनी देओल और ओम पूरी जैसे माने हुए अभिनेता थे पर फिल्म कभी सिनेमा घरो में नहीं लगी.  

टकराव की शुरुवात चेतन भगत के ट्विटर पर की गई टिप्पणी से हुई. चेतन भगत ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाना 'राजनीति से प्रेरित' बताया है, और सवाल पूछा की जिन्हे सरकार पसंद नहीं वो अपना पासपोर्ट और विश्वविद्यालय की डिग्रियां वापस क्यों नहीं कर देते?


इस ट्वीट की प्रतिक्रिया में काशीनाथ ने कहा, "लेखन और पासपोर्ट दो अलग चीजें हैं इसलिए इनको एक साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. हम रचनात्मक लेखक के प्रति कटिबद्ध हैं. जहां तक चेतन भगत की बात है, वह एक बाजारू लेखक हैं. लेखन के लिए जिस तरह की गंभीरता की जरूरत होती है वह उनके काम में नहीं दिखती".

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