हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। जी हाँ और करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। आप सभी को बता दें कि इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी करती हैं। जी दरसल ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है। इसी के साथ सुहागिन महिलाएं यदि इस व्रत को रखती है तो उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला रखा जाता है और उसके बाद महिलाएं व्रत का पारण करती हैं। अब हम आपको बताते हैं इस साल करवा चौथ का व्रत कब रखा जाएगा और क्या है इसकी पूजा विधि।
करवा चौथ की तिथि- पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। जी दरअसल इस साल की चतुर्थी तिथि गुरुवार 13 अक्टूबर को पड़ रही है। जी दरअसल चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर रात्रि 01:59 पर प्रारंभ होगी जोकि शुक्रवार 14 अक्टूबर सुबह 03:08 तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर 2022 को रखा जएगा।
करवा चौथ पूजा विधि- करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा अर्चना करें। इसके बाद भगवान के समक्ष हाथ जोड़कर निर्जला व्रत का संकल्प लें। संध्या के समय पुनः स्नानादि करने के बाद पूजा की तैयारी करें। अब करवा चौथ पर नए वस्त्र पहन कर पूरे सोलह श्रृंगार करें। इस दिन भगवान शिव के साथ पूरे शिव परिवार की पूजा की जाती है। आप पूजा के लिए अपने हाथों से पीले रंग की मिट्टी से माता गौरी और भगवान शंकर की मूर्ति बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी को विराजित करें।
अगर आप घर पर मिट्टी की मूर्ति नहीं बना सकें तो आप बाजार से भी ऐसी मूर्ति खरीद सकते हैं। इसके बाद मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद माता गौरी को लाल चुनरी और सुहाग का सामान अर्पित करें। मां गौरी के सामने कलश में जल भरकर रखें और इसके साथ टोटीदार वाला एक कलश भी रखें। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को इसी कलश से अर्ध्य दिया जाता है। अब रोली, सिंदूर, अक्षत, फूल, फल और धूप-दीप के साथ पूरे शिवपरवार की विधिपूर्वक पूजा करें और करवा चौथ की व्रत कथा सुनें। ध्यान रहे कथा सुनते समय हाथों में फूल और अक्षत के 13 दाने अवश्य रखें। फिर रात्रि में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्ध्य देकर पूजा करें और छलनी से पति को देखें। पति के हाथों से जल पीकर अपना व्रत खोलें।
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