बैंगलोर: कर्नाटक में कोलार के सरकारी स्कूल में स्टूडेंट्स को नमाज पढ़ने की इजाजत जिस प्रधानाध्यापिका उमा देवी ने दी थी, उन्हें निलंबित कर दिया गया है। यह मामला मुलबगल सोमेस्वरा पलाया बाले चंगप्पा सरकारी कन्नड़ मॉडल हायर प्राइमरी स्कूल का है। सरकारी स्कूल में नमाज क्यों? इस मामले को लेकर कोलार के डीएम उमेश कुमार ने प्रशासन से इसकी रिपोर्ट मांगी थी। मामले की तफ्तीश कर रहीं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी गिरीजेश्वरी देवी ने प्रधानाध्यापिका उमा देवी को नमाज प्रकरण में निलंबित किया।
After Namaz on roads,parks now Namaz in classroom in kolar Karnataka. Next what Bakra Eid in schools? pic.twitter.com/8tkuWQ5Wkm
— ATUL (@atulahuja_) January 24, 2022
बता दें कि स्कूल के अंदर स्टूडेंट्स ने नमाज शुक्रवार (21 जनवरी 2022) को पढ़ी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी गिरीजेश्वरी देवी ने बताया कि स्कूल में चार सदस्यीय टीम जांच हेतु भेजी गई थी। जाँच में यह पाया गया कि प्रधानाध्यापिका ने शुक्रवार को स्कूल में स्टूडेंट्स को नमाज अदा करने की इजाजत देकर गलती की है। इस फैसले के पीछे दलील देते हुए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि मुस्लिम स्टूडेंट्स को ब्रेक के समय नमाज की इजाजत दी जाती है, मगर स्कूल परिसर में नमाज की इजाजत नहीं है। सरकारी स्कूलों में किसी भी तरह की धार्मिक प्रार्थना करने का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए प्रधानाध्यापिका को सस्पेंड कर दिया गया है।
जाँच रिपोर्ट में कहा गया है कि, 'प्रधानाध्यापिका ने स्कूल में नमाज करवाने के अपने फैसले के बचाव में दलीलें दी हैं।' प्रधानाध्यापिका उमा देवी ने पहले बताया था कि उन्हें नहीं पता था कि स्कूल में नमाज हो रही है। हालाँकि, बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि स्कूल के एक कमरे में नमाज की इजाजत उन्होंने ही दी थी ताकि अधिक से अधिक मुस्लिम स्टूडेंट्स को स्कूल में शामिल किया जा सके।
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