बेंगलुरु: कर्नाटक में एक के बाद एक नया बवाल शुरू हो रहा है। बीते दिनों यहाँ स्कूल के क्लास रूम के भीतर हिजाब को प्रतिबंध करने के बाद जमकर विवाद हुआ था। जी हाँ और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था। हालाँकि अब इन सभी के बीच राज्य सरकार ने 'विवेका' योजना के तहत राज्य भर में शुरू की जा रही 10,000 कक्षाओं को भगवा रंग में रंगने का फैसला किया है। जी हाँ, और बोम्मई सरकार के इस फैसले को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। जी दरअसल भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार 992 करोड़ रुपये की लागत से राज्य भर के सरकारी स्कूलों में स्वामी विवेकानंद के नाम पर 10,000 से अधिक कक्षाओं का निर्माण करने की योजना बना रही है।
मिली जानकारी के तहत मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सोमवार को कलबुर्गी में बाल दिवस के अवसर पर शिक्षा मंत्री बीसी नागेश के साथ इस योजना का शुभारंभ किया। वहीं दूसरी तरफ शिक्षा मंत्री ने बीते रविवार को कक्षाओं के भगवा रंग में रंगने के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि, 'यह आर्किटेक्ट की सिफारिशों पर आधारित है।' इसी के साथ बीसी नागेश ने कहा, "क्या इसमें कुछ गड़बड़ है? क्या भगवा रंग नहीं है? अगर आर्किटेक्ट भगवा रंग का सुझाव देते हैं तो हम इसे पेंट करेंगे। सरकार यह तय नहीं करेगी कि खिड़कियां, दरवाजे और सीढ़ियां कैसी होनी चाहिए। हमारे पास आर्किटेक्ट हैं और हम उनकी सिफारिशों के आधार पर फैसला करेंगे।''
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वहीं क्लास रूम को भगवा रंग से रंगने पर विपक्ष के आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री ने कहा, "कुछ लोगों को भगवा से एलर्जी है। यहां तक कि उनके (कांग्रेस) झंडे में भी भगवा है, उन्होंने इसे क्यों रखा है? उसे भी हटा दें और इसे पूरी तरह से हरा कर दें।''
आपको बता दें कि आज यानी सोमवार को मुख्यमंत्री बसवराद बोम्मई ने बेंगलुरु में विधान सौध के सामने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद बोलते हुए विपक्ष से हर चीज का राजनीतिकरण नहीं करने को कहा। इसी के साथ उन्होंने कहा, "हमारे राष्ट्रीय ध्वज में भगवा रंग है। वे इसको लेकर नाराज क्यों हैं? स्कूल की इमारतों का निर्माण स्वामी विवेकानंद के नाम पर किया गया है। विवेकानंद एक भिक्षु थे। वह भगवा वस्त्र पहनते थे। विवेक शब्द का अर्थ है सभी के लिए ज्ञान। उन्हें सीखने दें।"
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