कारगिल की दुर्गम चोटी पर लहराता तिरंगा दिलाता है रणबांकुरों के त्याग की याद
कारगिल की दुर्गम चोटी पर लहराता तिरंगा दिलाता है रणबांकुरों के त्याग की याद
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पहाड़ों की दुर्गम चोटी से बरसती गोलियों का सामना करते हुए उस चोटी से सटी पर्वत श्रृंखलाओं तक पहुंचना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं है। दिनभर लड़ने के बाद कुछ थककर बैठे कि फिर बरसती गोलियों का सामना कर अपने साथियों को आगे बढ़ने के लिए कवर फायर देना किसी भी सैनिक के लिए बहुत ही मुश्किलभरा होता था लेकिन फिर भी सिपाही करीब 4 किलो की एके 47 गन, गोलियां और न जाने कितना ही भारी सामान साथ लेकर आगे बढ़ते चला जा रहा था।

उसे न मौत की परवाह थी न ही दुश्मन की बरसती गोलियों की बस एक जुनून था करगिल को वापस लाने का। जी हां। वर्ष 1999 के मई माह में जब बर्फ पिघली तो पाक अधिकृत कश्मीर की ओर पाकिस्तानी सेना के जवान घुसपैठियों के साथ इन पहाड़ों पर जमा हो गए। जब भारतीय नागरिकों ने इन घुसपैठियों को देखा तो उन्होंने भारतीय सेना के अधिकारियों का जानकारी दी। फिर शुरू हुआ कारगिल को वापस लेने का सिलसिला। इस युद्ध में भारत ने अपने युवा सैन्य अधिकारियों के साथ युवा सैन्य जवान खोए।

जिनकी तादाद करीब 600 से अधिक थी। इस दुर्गम क्षेत्र को भारत ने 26 जुलाई 1999 को हासिल किया। पाकिस्तान ने इस युद्ध में घायल हुए भारत के सैनिकों को पकड़कर अमानवीय यातनाऐं दीं। कैप्टन सौरभ कालिया इस युद्ध के प्रथम शहीद माने जाते हैं। जिनका शव बहुत ही बुरी स्थिति में भारतीय सेना को बर्फ की चादर के नीचे मिला। भारत के सैनिकों और सैन्य अधिकारियों को सिगरेट से दागा गया लेकिन इसके बाद भी भारत अपनी मानवीय युद्ध नीति पर कायम रहा। करीब 16 बरस बाद देश में हर कहीं कारगिल के रणबांकुरों को याद किया जा रहा है। क्या सेना क्या सररकार भारत का हर नागरिक इन जवानों को नम आंखों से श्रद्धांजलि दे रहा है।

उल्लेखनीय है कि इस युद्ध में ही सबसे पहले बहुचर्चित बोफोर्स तोपों का उपयोग हुआ था। वायु सेना ने अपनी शक्ति दिखाते हुए लेज़र गाईडेड बम का उपयोग कर दुश्मन को टारगेट करते हुए नेस्तनाबूद कर दिया था। कारगिल विजय की सोलहवीं वर्षगांठ पर जहां थल सेना अध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग समेत वायु सेना और नौसेना के प्रमुखों ने भी कारगिल में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने सैना के जवानों के अदम्य साहस का स्मरण किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कारगिल विजय की वर्षगांठ पर सेना के जवानों की अदम्य वीरता का स्मरण किया। 

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