मनमुताबिक फैसला न होने से सुप्रीम कोर्ट पर भड़के कपिल सिब्बल, ED की कार्रवाई पर बौखलाए
मनमुताबिक फैसला न होने से सुप्रीम कोर्ट पर भड़के कपिल सिब्बल, ED की कार्रवाई पर बौखलाए
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नई दिल्ली: राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर विवादित बयान दिया है। सिब्बल ने कहा है कि उन्हें 50 वर्षों तक कोर्ट में प्रैक्टिस करने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं बची है। कपिल सिब्बल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कोई ऐतिहासिक फैसला भले भी पास हो जाए, मगर इससे जमीनी हकीकत शायद ही बदलती है। कपिल सिब्बल एक पीपुल्स ट्रिब्यूनल के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत के कुछ हालिया फैसलों को लेकर असहमति जताई और नाराजगी प्रकट की। सिब्बल ने गुजरात दंगों में याचिकाकर्ता जाकिया जाफरी की याचिका ख़ारिज करने को लेकर और शीर्ष अदालत द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों को बरकरार रखने के फैसले की भी आलोचना की, जिसमे केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) को व्यापक अधिकार दिए गए थे। बता दें कि दोनों ही मामलों में कपिल सिब्बल याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए थे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनके (सिब्बल के) मनमुताबिक फैसला न देना उन्हें अखर रहा है। 

कपिल सिब्बल ने IPC की धारा 377 को असंवैधानिक घोषित करने के फैसले की मिसाल देते हुए कहा कि फैसला सुनाए जाने के बाद भी जमीनी हकीकत जस की तस बनी हुई है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता तभी संभव है, जब हम अपने अधिकारों के लिए खड़े हों और उस आज़ादी की मांग करें। उन्होंने कहा कि सियासी रूप से संवेदनशील मामले कुछ जजों को सौंपे जाते हैं और फैसले की भविष्यवाणी पहले से ही की जा सकती है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष अदालत द्वारा पारित हालिया PMLA फैसले को संबोधित करते हुए पूर्व कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि ED बेहद खतरनाक हो गई है और उसने व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सीमाओं को लांघ दिया है। उन्होंने कहा कि मामले की अध्यक्षता करने वाले जज ने कहा था कि PMLA एक दंडात्मक क़ानून नहीं है, जबकि अपराध शब्द समेत PMLA के तहत ‘अपराध से प्राप्त संपत्ति’ की परिभाषा दंडनीय है।

भ्रष्टाचार पर ED की कार्रवाई :-

बता दें कि, इन दिनों ED, गरीब जनता की कमाई हजम करने वाले भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कस रही है। लगभग 3 करोड़ रुपए नकद मिलने के बाद ED ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को अरेस्ट किया था। दिल्ली CM अरविन्द केजरीवाल, जैन के लिए पद्मविभूषण मांग रहे थे, लेकिन वही जैन कोर्ट में खुद को बेगुनाह साबित नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें जमानत तक नहीं मिल रही है। वहीं, 50 करोड़ की नकदी और करोड़ों के सोने के साथ ममता बनर्जी के मंत्री पार्थ चटर्जी ED के हाथों अरेस्ट हुए हैं। जिन्होंने शिक्षा मंत्री रहते हुए अपने गार्ड के पूरे परिवार को सरकारी टीचर बना दिया था और कई योग्य लोग नौकरी से वंचित रह गए थे। अब ED कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से नेशनल हेराल्ड केस में की गई मनी लॉन्डरिंग को लेकर सवाल कर रही है, लेकिन सोनिया-गांधी पैसों के लेनदेन के लिए दिवंगत नेता मोतीलाल वोरा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, हालांकि वे भी ऐसा कोई डॉक्यूमेंट नहीं दे पाए हैं, जिससे यह साबित हो कि ट्रांसक्शन वोरा ने किए थे। ऐसे में कोई सबूत न दे पाने के कारण सोनिया-राहुल की भी गिरफ़्तारी हो सकती है। शायद कपिल सिब्बल को इसीलिए सुप्रीम कोर्ट अब पसंद नहीं आ रही है, क्योंकि न्यायालय ने ED पर लगाम नहीं लगाईं और उसे भ्रष्टाचार पर एक्शन लेने के लिए फ्री हैंड दे दिया। शायद सिब्बल चाहते हैं कि, अदालत उनके मन मुताबिक़ ही फैसले दे। 

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