टीवी के जाने माने शो कॉमेडी नाइट्स के कॉमेडियन कपिल शर्मा के चेहरे पर मुस्कान अच्छी लगती है और वे दूसरों को हंसाते हुए जमते हैं. प्रोड्यूसर बनते ही उन्होंने कॉमेडी और सीरियसनेस का छौंक लगाने की कोशिश की. अपने एक्स फैक्टर को भूलकर उन्होंने एक मंजे हुए एक्टर की तरह बनने की कोशिश की, जो अच्छी तो लगती है लेकिन दिल में नहीं उतरती है. फिल्म की धीमी रफ्तार और खींची हुई कहानी वैसा मजा नहीं दे पाती है, जैसा कपिल के शो देते रहे हैं.
फिल्म 1920 के दशक की है. मंगा यानी कपिल शर्मा सीधा-सादा नौजवान है और उसमें लात मारकर कमर ठीक करने का हुनर है. अपने हुनर से वह अंग्रेजों का मुलाजिम बन जाता है, और तन-मन से उनकी सेवा करता है. इस दौरान उसे सरगी (ईशिता) से प्यार हो जाता है और झटका उसे तब लगता है जब अंग्रेज सरगी के गांव को खाली कराने कि मांग करते हैं. बस यहीं से फिल्म में टर्निंग पॉइंट आता हैं. कुल मिलाकर न तो कहानी में नयापन है, न ही एक्टिंग में. कछुए की रफ्तार से फिल्म चलती है. ऐसी कहानी पहले भी कई बार देखी जा चुकी है. ईशिता दत्ता और मोनिका गिल की एक्टिंग भी कोई खास रंग नहीं जमा पाई है. लेकिन अंग्रेज बने एडवर्ड सोननब्लिक की एक्टिंग मजेदार है. वह छाप छोड़कर जाते हैं.
फिल्म का बजट लगभग 25 करोड़ रु. बताया जा रहा है. फिल्म का म्यूजिक दिलों में दस्तक देने में सफल नहीं रहा है. यूथ के साथ कनेक्शन पॉइंट बनाने वाली बातें भी कम हैं, और वही पुराने किस्म का मजाक है. हंसने के शौकीन कपिल के फैन्स को थोड़ी निराशा हो सकती है.
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