कांवड़ यात्रा से पर्यटन कारोबारियों को लगा बुरा झटका
कांवड़ यात्रा से पर्यटन कारोबारियों को लगा बुरा झटका
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चारधाम के बाद कांवड़ यात्रा से होने वाले कारोबार को कोरोना का करंट लगा है। कोविड महामारी के कारण इस बार कांवड़ यात्रा स्थगित होने से पर्यटन कारोबारियों को झटका लगा है। महामारी से पर्यटन कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया है। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण से इस बार शिव भक्त कांवड़ यात्रा नहीं कर पाएंगे। वहीं उत्तर प्रदेश और हरियाणा ने महामारी को देखते हुए कांवड़ यात्रा स्थगित करने पर सहमति जताई है। जिससे कांवड़ यात्रा से होने वाला करोड़ों का कारोबार नहीं हो पाएगा। प्रदेश में छह माह के यात्रा सीजन से 1200 करोड़ का पर्यटन कारोबार होता है। वहीं इसमें लगभग दो सौ करोड़ का कांवड़ कारोबार भी शामिल है।लाखों शिव भक्त पवित्र गंगा जल लेने के लिए तीर्थ नगरी हरिद्वार और ऋषिकेश आते हैं और गंगा जल लेकर अपने-अपने क्षेत्रों के शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कपाट खुलने के बाद भी चारधाम यात्रा अपने स्वरूप में शुरू नहीं हुई है।

वहीं सरकार ने स्थानीय लोगों को सीमित संख्या में दर्शन करने की अनुमति दी है। परन्तु चारधाम यात्रा से होने वाला होटल, रेस्टोरेंट, टैक्सी व अन्य कारोबार पूरी तरह से चौपट है।कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा पर्यटन कारोबार को नुकसान हुआ है। वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी पर्यटन है। वहीं कांवड़ यात्रा स्थगित होने से निश्चित रूप से पर्यटन व्यवसाय प्रभावित होगा। इसके साथ ही महामारी से अब तक किस क्षेत्र को कितना नुकसान हुआ है, इसका विभागवार आकलन किया जा रहा है। वहीं कांवड़ यात्रा को इस बार स्थगित करने के लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा ने भी सहमति जताई है। इसके साथ ही अन्य राज्यों के साथ ही कांवड़ यात्रा को लेकर बातचीत करने के बाद ही सरकार अंतिम निर्णय लेगी।आपकी जानकारी के लिए बता दें की पहले चारधाम यात्रा और अब कांवड़ यात्रा स्थगित होने से धर्मनगरी के व्यापारियों उम्मीद धरी की धरी रह गई। 

इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान के बाद व्यापारियों को कांवड़ यात्रा शुरू होने और कुछ व्यापार होने की उम्मीद थी, परन्तु अब सरकार के फैसले से सभी लोग मायूस हैं। एक अनुमान के मुताबिक करीब 1500  करोड़ रुपये के कारोबार की चपत लगना तय है। वहीं गर्मी का मौसम शुरू होते ही धर्मनगरी में यात्रियों का उमड़ना शुरू हो जाता था। हर वीकेंड पर तो लाखों लोग हरिद्वार और ऋषिकेश घूमने आते थे। चारधाम यात्रा शुरू होने पर तो धर्मनगरी में कहीं पांव रखने की जगह नहीं मिलती थी। वहीं बरसात शुरू होने पर चारधाम यात्रा हल्की होती थी तो कांवड़ की तैयारियां शुरू हो जाती।वहीं  जून के अंतिम सप्ताह तक कुंभनगरी कांवड़ियों से गुलजार होने लगती थी। इस बार कोरोना ने सबकुछ चौपट कर दिया।इसके साथ ही  गर्मी का सीजन शुरू होते ही 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और 23 मार्च से लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन ने हरिद्वार के हर तरह के व्यापार को चौपट कर दिया। 

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