भारतीय साहित्य में यूं तो कई लेखक लेखिका हुए लेकिन उन सब में बंगाल की लोकप्रिय लेखक कामिनी रॉय बहुत चर्चित थीं। उन्हें बंगाल के साहित्य जगत में विशेष लोकप्रियता प्राप्त थी। इसके अलावा वे पहली ऐसी लड़की थीं जिन्होंने ब्रिटिश भारत में स्कूल में दाखिला लिया था। कामिनी रॉय बंगाली परिवार से थीं और उनका जन्म 12 अक्टूबर 1864 में बंगाल के बाकेरगंज जिले में हुआ था। उस काल में यह बंगाल प्रेसिडेंसी में आता है।
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कामिनी रॉय के पिता चंडीचरण सेना मुख्य रूप से लेखक थे। इसके अलावा वे ब्रह्म समाज में सदस्य भी थे। उन्हौंने संस्कृत आनर्स में स्नातक किया था। असल मेें वे बंगाली कवयित्री थी और अपने पूरे लेख बंगाली में ही लिखती थी। उनका लेखन सीधा और सरल भाषा में था जिससे उनके लेखन को पढ़ने में कोई परेशानी नहीं जाती थी। उन्होंने 1889 में छंदों के पहले संग्रह अलो छया को प्रकाशित किया था। शादी के उपरांत जब वे मातृत्व में आई तब उन्हौंने लेखन से ब्रेक ले लिया और कई सालों तक लेखन नहीं किया।
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वे वर्ष 1932 और 1933 में बंगाली साहित्य परिषद की उपाध्यक्ष बनाई गईं। उनके साहित्य ने लोगों का जागरण किया। उनका साहित्य बेहद मनोरंजक भी था। उनकी रचनाओं में महाश्वेता, पुंडोरिक, द्विपो धूप आदि प्रमुख थीं। 27 सितंबर वर्ष 1933 में बिहार व उड़ीसा प्रोविन्स के हजारीबाग में उन्होंने अंतिम सांस ली।
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