आप जानते ही होंगे कि हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी चैत्र शुक्लपक्ष की एकादशी को मनाते हैं और इस बार यह एकादशी 15 अप्रैल दिन सोमवार को पड़ रही है. वैसे यह पहली एकादशी है जो चैत्र नवरात्रि और रामनवी के बाद मनाई जाएगी. कहा जाता है एकादशी को समस्त सांसारिक कामनाओं की पूर्ति के लिए बेहद खास मानते हैं और मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्धा के साथ व्रत रखता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. आइए आज जानते हैं कामदा एकादशी की कथा.
कामदा एकादशी की कथा- मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान नारायण का पूजन, अर्चन और स्तवन करने से वे प्रसन्न होते हैं और उपासक को सभी पापों से मुक्त कर देते हैं. प्राचीन काल में राजा दिलीप ने भी इस एकादशी के व्रत का माहात्म्य अपने गुरु वशिष्ठ से सुना था. गुरु ने उन्हें बताया था कि एक बार राजा पुंडरीक किसी के श्राप से मनुष्य से राक्षस बन गया था. उस राजा की पत्नी ने चैत्र एकादशी का व्रत रखकर भगवान नारायण से प्रार्थना की थी कि मेरे इस व्रत का फल मेरे पति को प्राप्त हो जाए.
भगवान नारायण ने पत्नी के व्रत का फल उसके राक्षस बन चुके पति राजा पुंडरीक को दे दिया जिससे वह राक्षस से एक बार फिर से राजा बन गया. इस व्रत के विषय में यह भी कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से उपासक ब्रह्म हत्या जैसे पापों से और पिशाच योनि से भी मुक्त हो जाता है.
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