आप सभी को बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी चैत्र शुक्लपक्ष की एकादशी को मनाते हैं और इस बार यह एकादशी 15 अप्रैल दिन सोमवार को पड़ रही है. ऐसे में आप सभी जानते ही होंगे कि यह पहली एकादशी है जो चैत्र नवरात्रि और रामनवी के बाद मनाई जाएगी. कहते हैं एकादशी को समस्त सांसारिक कामनाओं की पूर्ति के लिए बेहद खास माना गया है और मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्धा के साथ व्रत रखता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. आइए आज जानते हैं इस व्रत की विधि.
व्रत की विधि- आप सभी को बता दें कि कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इसी के साथ कामदा एकादशी के दिन स्नान करके भगवान विष्णु का फल, फूल, दूध, पंचामृत, तिल आदि से पूजन करें और रात में सोना में सोने के बजाय भजन- कीर्तन करें और अगले दिन पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें.
एकादशी का शुभ मुहूर्त -
कामदा एकादशी व्रत = 15 अप्रैल को
व्रत का पारण = 16 अप्रैल को सूर्योदय के बाद
पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाने वाली है.
एकादशी का महत्व - आप सभी को बता दें कि पुराणों में बताया गया है कि जितना पुण्य कन्यादान, हजारों वर्षों की तपस्या और उससे अधिक पुण्य एकमात्र कामदा एकादशी व्रत करने से मिल जाता है. इसी के साथ आज जो भक्त सच्चे मन से एकादशी का व्रत करता है, उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति हो सकती है. कहते हैं ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी व्रत करता है उसके समस्त पाप नाश हो जाते हैं और मृत्यु के बाद भी स्वर्गलोक मिल जाता है.
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