देहरादून: पीएम नरेंद्र मोदी इस वक़्त केदारनाथ यात्रा पर हैं. इस समय हिमालय के मंदिरों की ही चर्चा की जा रही है. पंचम केदार के रूप में कल्पेश्वर मंदिर का भी नाम आता है. इस मंदिर को कल्पनाथ के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भगवान शिव की जटा के दर्शन होते हैं. पंचम केदार में कल्पेश्वर मंदिर ही ऐसा है जो वर्ष के बारह महीनों खुला ही रहता है और यहां भगवान शिव की जटा जैसी चट्टान के दर्शन होते हैं.
इस मंदिर के बारे में जनश्रुति है कि इस स्थान पर दुर्वासा ऋषि ने कल्पवृक्ष के नीचे कड़ी तपस्या की थी. तभी से यह जगह 'कल्पेश्वर' या 'कल्पनाथ' के नाम से मशहूर है. 2134 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 10 किलोमीटर तक पैदल चलना होता है. यहां श्रद्धालु भगवान शिव की जटा जैसी दिखने वाली चट्टान तक पहुंचते हैं. गर्भगृह का रास्ता एक गुफा से होकर गुजरता है.
कल्पेश्वर मंदिर तक उर्गम घाटी से होकर पहुंचा जाता है जो उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में आती है. ऋषिकेश से उर्गम गांव की दूरी 253 किमी है और यहां से आगे 10 किमी की दूरी पर कल्पेश्वर मंदिर स्थित है. रुद्रनाथ मंदिर के कपाट भी आज 19 मई को खुल चुके हैं. भारत में यह अकेला ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव के चेहरे की पूजा की जाती है. एकानन के रूप में रुद्रनाथ, चतुरानन के रूप में पशुपति नेपाल, पंचानन विग्रह के रूप में इंडोनेशिया में भगवान शिव की पूजा होती है.
ईरान से तेल आयात बंद होने का पेट्रोलियम पदार्थों की आपूर्ति पर नहीं होगा असर
अप्रैल में हुई बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति में नजर आई मामूली बढ़त
आर्थिक रूप से कमजोर पाकिस्तान की हालत दिनों दिन होती जा रही है खराब