आज ही के दिन थम गई थी 'कल्पना' की सपनों की उड़ान
आज ही के दिन थम गई थी 'कल्पना' की सपनों की उड़ान
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भारत के हुनर और कौशल का परचम भारत की धरती से दूर अंतरीक्ष पर लहराने का श्रेय यदि किसी को है तो उसमें लोकप्रिय अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला भी शामिल हैं। कल्पना चावला, जिन्हें नासा के कई स्पेस शटल की सफल उड़ानों के लिए जाना जाता है। मगर कल्पना ने अपने एस्ट्रोनाॅट जीवन में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस 87 के 6 सदस्यों की टीम के तौर पर किया। इस दौरान कल्पना ने भारत को अलग पहचान दिलवाई, कल्पना की यह सफलता नासा के अंतरिक्ष मिशन की सफलता से अलग भारत की बेटी की सफलता हो गई।

1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ कल्पना की उड़ान रुक गई लेकिन आज भी वह दुनिया के लिए एक मिसाल है। कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ। उनकी मां संजयोती चावला और पिता बनारसी चावला थे। इनके परिवार में कल्पना 4 भाईयों और बहनों में सबसे छोटी थी। कल्पना को प्यार से मोंटू कहा जाता था। कल्पना की प्रारंभिक पढ़ाई टैगोर बाल निकेतन में हुई। बचपन से ही कल्पना इंजीनियर बनने की चाह रखकर आगे बढ़ी। हालांकि पिता कल्पना को चिकित्सक बनाना चाहते थे। कल्पना प्रारंभ से ही अंतरिक्ष यात्राओं को लेकर विचार किया करती थीं। कल्पना ने अपनी शुरूआती शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल करनाल से प्राप्त की। मगर वर्ष 1982 में वे यूनाईटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका चली गईं। जहां उन्होंने वैमानिकी अभियान्त्रिकी में विज्ञान में उपाधि हासिल की। एकल और बहु इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमान परिचालन का लाईसेंस भी उन्होंने हासिल कर लिया।

कल्पना का मेन मिशन- कल्पना चावला ने मार्च 1995 में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर को ज्वाईन किया। इसके बाद कल्पना सफलता के शिखर की ओर आगे बढ़ती चली गईं। 19 नवंबर 1997 को उन्हें पहले अंतरिक्ष मिशन के लिए चुना गया। अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस - 87 से उन्होंने अपना मिशन प्रारंभ किया। यह मिशन कल्पना के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा। इस मिशन से कल्पना ने भारत का परचम दुनियाभर में लहरा दिया। इस मिशन के दौरान अंतरिक्ष की पहली यात्रा के दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताए और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं पूरी की।

कल्पना चावला ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा का अंतिम सफर भारत यात्रा के बाद तय किया। जी हां, इस दौरान वे अपने पति और बच्चों के साथ छुट्टियां बिताईं मगर अवकाश से आने के बाद वर्ष 2000 में एसटीएस 107 का मिशन उनके लिए अंतिम मिशन रहा। 1 फरवरी 2003 को धरती पर वापस आने के क्रम में यह यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। इस घटना में कल्पना के साथ छह अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की भी मौत हो गई थी।

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