हर साल कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को काली चौदस पर्व मनाया जाता है। जी हाँ और यह दिन काली मां को समर्पित होता है। कहा जाता है काली चौदस के दिन विशेष रूप से माता काली की पूजा अर्चना की जाती है। इसी के साथ आपको बता दें कि काली चौदस को रूप चौदस या नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। जी दरअसल बंगाल में काली चौदस के दिन को माता काली के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, ऐसी मान्यता है इस दिन जो व्यक्ति पूजा और दीपक जलाता है उस व्यक्ति को तमाम तरह की परेशानियों और पापों से मुक्ति मिल जाती है। अब हम आपको बताते हैं काली चौदस की तिथि, मुहूर्त और महत्व के बारे में।
काली चौदस तिथि- कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आरंभ: 23 अक्टूबर 2022, रविवार, सायं 06:03 मिनट पर
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त: 24 अक्टूबर 2022, सोमवार, सायं 05:27 मिनट पर
ध्यान रहे देवी की उपासना 23 अक्टूबर 2022 को मध्यरात्रि में ही मान्य है। उसके बाद नरक चतुर्दशी उदयातिथि के अनुसार 24 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी।
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काली चौदस 2022 मुहूर्त-
23 अक्टूबर 2022, रविवार रात्रि 11:46 से 24 अक्टूबर 2022, सोमवार प्रात: 12:37 तक
कुल पूजा की अवधि: 51 मिनट तक
काली चौदस का महत्व- कहा जाता है काली चौदस के दिन रात्रि में मां काली की उपासना करने से साधक को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि काली चौदस पर काली पूजा करने से शत्रु पर विजय प्राप्ति का वरदान मिलता है। जी हाँ और जो साधक तंत्र साधना करते हैं काली चौदस के दिन महाकाली की साधना को अधिक प्रभावशाली मानते हैं।
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