हर साल आने वाला कालाष्टमी का पर्व इस साल आज यानी 14 मई को मनाया जा रहा हैं. आप सभी को बता दें कि नारद पुराण के अनुसार कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा करने का विधान होता हैं. इस दिन रात मे देवी काली की भी पूजा की जाती है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस दिन की व्रत कथा जिसके बिना आपका व्रत पूर्ण नहीं हो सकता हैं. आइए जानते हैं.
कालाष्टमी व्रत कथा - एक दिन भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठ होने पर विवाद उत्पन्न हुआ. विवाद के समाधान के लिए सभी देवता और मुनि भगवान शिव के पास पहुंचे. सभी देवताओं और मुनि की सहमति से शिवजी को श्रेष्ठ माना जाता हैं मगर ब्रह्मा जी इससे सहमत नहीं हुए. ब्रह्माजी, शिवजी का अपमान करने लगे. अपमानजनक बातें सुनकर भगवान शिव को क्रोध आ गया, जिससे कालभैरव का जन्म हुआ. उसी दिन से कालाष्टमी का पर्व शिव के रुद्र अवतार कालभैरव के जन्म के दिन के रूप में मनाया जाने लगा.
आप सभी को बता दें कि कालाष्टमी व्रत बहुत ही फलदायी माना गया हैं इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि विधान से भैरव बाबा की पूजा करने से जातक के सभी कष्ट मिट जाते हैं और काल उससे दूर हो जाता हैं. इसके अलावा मनुष्य रोगों से भी दूर रहता हैं. इस समय फैले कोरोना वायरस से बचाव के लिए भी आप इस दिन व्रत रख सकते हैं क्योंकि यह काल को टाल देता है.