जानिए कब है कालाष्टमी का व्रत और क्या है पूजा विधि और मंत्र
जानिए कब है कालाष्टमी का व्रत और क्या है पूजा विधि और मंत्र
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कालाष्टमी का व्रत हर साल रखा जाता है। यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखते हैं। जी दरअसल कालाष्टमी व्रत में भगवान शंकर के भैरव स्वरूप की पूजा की जाती है। वहीं धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, भैरव के तीन रूप हैं- काल भैरव, बटुक भैरव और रूरू भैरव हैं। जी हाँ और इस दिन इनके काल भैरव स्वरूप की पूजा करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इससे जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं और मनचाही मुरादें पूरी होती हैं।

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कालाष्टमी तिथि और मुहूर्त- जी दरअसल हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 अक्टूबर को 09:29 AM से शुरू होगी और अगले दिन 18 अक्टूबर मंगलवार को 11:57 AM पर समाप्त होगी। इस साल कालाष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर को रखा जाएगा और इसका पारण 18 अक्टूबर मंगलवार को किया जाएगा।

कालाष्टमी व्रत 2022 मुहूर्त-
कालाष्टमी व्रत 2022 : 17 अक्टूबर दिन सोमवार
कार्तिक कृष्ण अष्टमी प्रारम्भ : 17 अक्टूबर को 09:29 AM
कार्तिक कृष्ण अष्टमी समाप्त : 18 अक्टूबर 2022 को 11:57 AM

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कालाष्टमी व्रत 2022 पूजा विधि- कार्तिक माह की अष्टमी तिथि को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि कर साफ कपड़ा पहन लें। उसके बाद पास के शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करें। अगर  घर में ही कालाष्टमी व्रत की पूजा करना चाह रहें हैं, तो घर के पूजा स्थल पर काला आसन बिछाकर उसके ऊपर भगवान शिव की प्रतिमा के साथ में माता पार्वती और गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद विधि विधान से पूजा करें। पूजा के दिन काल भैरव को पूजन सामग्री अर्पित करें तथा दीपक जलाएं। इसके बाद नीचे लिखे मंत्रों में से किसी एक मंत्र का जाप करें। वहीं इसके बाद आरती करें। ऐसी मान्यता है कि इससे समस्त भय को हरने वाले बाबा काल भैरव की कृपा प्राप्त होगी। घर धन-धान्य से परिपूर्ण होगा।

कालाष्टमी व्रत मंत्र- शिवपुराण के अनुसार, कालाष्टमी व्रत में कालभैरव की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जप करना बेहद फलदायी माना गया है।

मंत्र: अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!

अन्य मंत्र: ओम भयहरणं च भैरव:।
ओम कालभैरवाय नम:।
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।

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