इस विधि से रखे कालाष्टमी पर व्रत, सब काम होंगे सफल
इस विधि से रखे कालाष्टमी पर व्रत, सब काम होंगे सफल
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कहते हैं कालाष्टमी का व्रत बहुत अधिक लाभकारी होता है और 'कालभैरव जयंती' इस बार कल यानी 26 अप्रैल को है. जी हाँ, यह व्रत भगवान शिव के अन्य रूप को समर्पित है. हम सभी जानते ही हैं कि मनुष्य को सबसे ज्यादा भय अपनी मृत्यु से लगता है और इस डर को टालने के लिए या इससे बचने के लिए वह देवी-देवताओं की पूजा, यज्ञ, हवन, मंत्र जाप आदि करता है, लेकिन चूंकि मृत्यु अटल है इसे टाला नहीं जा सकता. ऐसे में हम जानते हैं कि जब मृत्यु का समय होगा तो वह आएगी ही.

ऐसे में हमारे धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में ऐसे अनेक दिनों का वर्णन मिलता है जिनमें यदि आप किसी विशेष देवी या देवता की पूजा करते हैं तो अकाल मृत्यु का कभी खतरा नहीं रहता. इन सभी में एक सिद्ध दिन माना जाता है कालाष्टमी. जी हाँ, इस दिन कई उपाय किए जा सकते हैं और अगर सिद्ध विधि से पूजा की जाए तो लाभ भी लिया जा सकता है. आइए जानते हैं पूजा विधि.

कालाष्टमी व्रत विधि :-  इस दिन नारद पुराण के अनुसार कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए और इस रात देवी काली की उपासना करने वालों को अर्द्धरात्रि के बाद मां की उसी प्रकार से पूजा करनी चाहिए, जैसे दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की पूजा करते हैं. इसी के साथ इस दिन शक्ति अनुसार रात को माता पार्वती और भगवान शिव की कथा सुनकर जागरण का आयोजन करना चाहिए और व्रती को फलाहार ही करना चाहिए. इसी के साथ इस दिन कुत्ते को भोजन करवाना चाहिए क्योंकि इससे लाभ हो सकता है.

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