माता सीता से पूजा के कलश का है गहरा संबंध, जानिए क्या?
माता सीता से पूजा के कलश का है गहरा संबंध, जानिए क्या?
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हिन्दू धर्म में बहुत सी ऐसी बातें हैं जो आपको जाननी चाहिए. ऐसे में आप सभी जानते ही होंगे कि हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का बहुत महत्व होता है और इस दौरान पूजा में खास सामग्री उपयोग में लेते हैं. वहीं इस सामग्री के अलावा एक और ऐसी चीज़ है जिसका हर पूजा में इस्तेमाल होता है. जी हाँ, और वह चीज़ है कलश. जी हाँ, ऐसी मान्यता है कि कलश को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और कलश में सभी देवी-देवताओं की मातृ शक्तियां होती हैं. जी हाँ, कहते हैं कलश के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं हो पाती है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि क्यों इसका पूजा में इस्तेमाल इतना महत्वपूर्ण है. जी हाँ, दरअसल इससे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है जो हम आपको बताने जा रहे हैं.

कथा - पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार राजा जनक खेत में हल चला रहे थे, तभी उनका हल ज़मीन के अंदर गड़े हुए कलश से टकराया. जब उन्होंने कलश को निकाला तो उसमें से कन्या प्राप्त हुई थी. जिसका नाम सीता रखा गया. एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश प्राप्त हुआ था. इन्हीं वजहों से पूजा में कलश की स्थापना करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है.और जैसा कि आप सब ने देखा होगा कि मां लक्ष्मी के सभी तस्वीरों व चित्रों में कलश मुख्य रूप से दर्शाया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब पूजा में कलश स्थापित किया जाता है तो ऐसा माना जाता है कि कलश में त्रिदेव और शक्तियां विराजमान होती हैं.

साथ ही कलश में सभी तीर्थों का और सभी पवित्र नदियों का ध्यान भी किया जाता है. इसी के चलते सभी शुभ कामों में कलश स्थापित करने का विधान है. आप सभी को बता दें पूजा में सोने, चांदी, मिट्टी और तांबे के कलश का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि पूजा के दौरान कभी भी लोहे का कलश न रखें.

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