Movie Review : मोहब्बत की जबरदस्त कहानी है Kabir Singh
Movie Review : मोहब्बत की जबरदस्त कहानी है Kabir Singh
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मोहब्बत का पागलपन और उसे पाने की भावना जितनी रचनात्मक हो सकती है उतनी ही ख़राब भी हो सकती है. ऐसी ही कुछ कहानी है फिल्म 'कबीर सिंह' की भी. कबीर सिंह सुपरहिट तेलुगू फिल्म 'अर्जुन रेड्डी' का ऑफिशियल हिंदी रीमेक है. इसमें शाहिद के किरदार को विजय देवारकोंडा ने निभाया था. आइये जानते हैं कैसा रहा इसका पब्लिक रिव्यु.

फिल्म : कबीर सिंह 
कलाकार : शाहिद कपूर, कियारा आडवाणी, अर्जन बाजवा, कामिनी कौशल, सुरेश ओबेरॉय 
निर्देशक : संदीप रेड्डी वांगा 
मूवी टाइप : Drama 
अवधि : 2 घंटा 55 मिनट
रेटिंग : 3.5/5

कहानी: ट्रेलर में देख चुके हैं, कबीर सिंह नशे की हालत में घर से निकाला हुआ बर्बादी की कगार पर पहुंच चुका एक होनहार सर्जन है. फिल्म में कहानी फ्लैशबैक में जाती है, जहां पता चलता है कि कबीर गुस्से पर काबू न पा सकनेवाला एक ऐसा मेडिकल स्टूडेंट है, जो टॉपर होने के साथ-साथ फुटबॉल का चैंपियन भी है, मगर गुस्सैल होने के कारण किसी के भी सिर या हाथ-पैर तोड़ देना उसके लिए आम बात है. उसकी हरकतों के कारण उसे कॉलेज से सस्पेंड कर दिया जाता है. वह कॉलेज छोड़नेवाला ही होता है कि उसकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाती है. यहना स्टोरी बदल जाती है. 

उसे कॉलेज कैंपस में प्रीति सिक्का (कियारा अडवानी) जैसी 19 साल की मासूम, खूबसूरत और सिंपल लड़की दिखाई देती है. पहली नजर के प्यार का दबंग कबीर पर कुछ ऐसा असर होता है कि वह पूरे कॉलेज में ऐलान कर देता है कि प्रीति उसकी है और उसकी तरफ आंख उठाकर देखने वाले की वह आंखें फोड़ देगा. अब कबीर मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में प्रीति की परछाई बनकर खुद सर्जन बनता है और प्रीति को डॉक्टर बनने में उसकी मदद. मगर तभी हालात कुछ ऐसे होते हैं कि रुढ़िवादी परिवार के दबाव और कबीर के गुस्से के कारण प्रीति की शादी कहीं और कर दी जाती है. इसके बाद शाहिद का एक बदला हुआ रूप दिखाई देता है. 

रिव्यु : देखा जाए तो निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा की 'कबीर सिंह' एक लव स्टोरी है, मगर कहानी को कहने का निर्देशक का अंदाज बेहद निराला साबित हुआ है. उन्होंने कबीर के रूप में शाहिद को जिस तरह से ओवर प्रॉटेक्टिव, ओवर ऑब्सेसिव, हिंसक, नशे और सेक्स का आदी दिखाया है. धीरे धीरे दर्शकों को कहानी पंसद आने लगती है. 3 घंटे की अवधि थोड़ी लंबी लगती है. यह निर्देशक की समझदारी ही है कि हिंदी के ऑफिशियल रीमेक को बनाते समय में उन्होंने उसे मूल फिल्म की तरह ही रहने दिया. 
 
एक्टिंग : कबीर सिंह के रूप में यदि इसे शाहिद कपूर की जबरदस्त एक्टिंग है. एक अदाकार के रूप में उन्होंने इस किरदार को पूरी बेहयाई से जिया और वही उनको एक अभिनेता के रूप में परिष्कृत करता चला गया. शाहिद पहले भी इस तरह के जटिल किरदारों को संस्मरणीय बना चुके हैं, मगर इस बार वह अपने चरित्र को दीवानगी से जी गए हैं. 

वहीं कियारा बेहद खूबसूरत लगी हैं और उन्होंने कम संवादों और स्क्रीन स्पेस के बावजूद आंखों से अभिनय किया है. फिल्म में दोस्त बने शिवा के रूप में सोहम मजूमदार की भूमिका उल्लेखनीय है. उन्होंने जिस सहजता और सरलता से कहानी में दोस्ती के फर्ज को निभाया है, वह मनोरंजन करने के साथ-साथ दिल को भी छू जाता है. अर्जन बाजवा, सुरेश ओबेरॉय और निकिता दत्ता ने अपनी भूमिकाओं के साथ इंसाफ किया है. इसके अलावा दादी के रूप में सीनियर अभिनेत्री कामिनी कौशल को देखना सुखद साबित होता है. 

म्यूजिक : फिल्म का संगीत और बैकग्राउंड म्यूजिक दमदार है. संगीतकार सचेत-परंपरा के संगीत में 'बेखयाली' गाना रेडियो मिर्ची टॉप ट्वेंटी चार्ट में पांचवें पायदान पर है और मिथुन का संगीतबद्ध गीत, 'तुझे कितना चाहने लगे' ग्यारहवें नंबर पर है. 

क्यों देखें: दीवानगी भरी प्रेम कहानियों के शौकीन और शहीद कपूर की अनोखी अदाकारी के लिए यह फिल्म देखी जा सकती है. 

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