पाकिस्तान ने जीता कबड्डी विश्व कप, बिना सरकारी अनुमति के पहुंची थी भारतीय टीम
पाकिस्तान ने जीता कबड्डी विश्व कप, बिना सरकारी अनुमति के पहुंची थी भारतीय टीम
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रविवार को लाहौर के पंजाब स्टेडियम में भारत को हराते हुए पाकिस्तान ने सर्कल कबड्डी विश्व कप जीत लिया हैं. गैर मान्यता प्राप्त भारतीय टीम को फाइनल में 43-41 से मात देते हुए पाकिस्तान ने पहली बार खिताब अपने नाम कर लिया हैं. इस नजदीकी मुकाबले में मेजबान टीम हाफ टाइम तक 18-24 से पीछे थी, लेकिन दूसरे हाफ में पाकिस्तान ने जोरदार पलटवार करते हुए भारत को दो अंक से हरा दिया. पाकिस्तान की ओर से मोहम्मद इरफान ऊर्फ मन्ना जट्ट और स्टार रेडर शफीक चिश्ती ने जीत के हीरो रहे हैं.

इसके पहले चार बार भारत फाइनल में पाकिस्तान को हरा चुका था, लेकिन पांचवीं बार बेहद करीबी अंतर से ही सही उसे जीत हासिल कर ली. यह विश्व कप बेहद विवादों में भी रहा. दरअसल, भारतीय टीम बगैर किसी को सूचना दिए 7 फरवरी को वाघा बॉर्डर के रास्ते लाहौर पहुंची थी. इस दल में 45 खिलाड़ी, 12 अधिकारी और कोच शामिल थे. भारत में कबड्डी की सबसे बड़ी संस्था एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (AKFI) ने पाकिस्तान को पत्र लिखकर कहा था कि उन्होंने सर्कल कबड्डी विश्व कप के लिए कोई टीम भेजी ही नहीं, जो टीम लाहौर गई, उसे भारत के नाम और तिरंगे के साथ खेलने तक की अनुमति नहीं है. इस टीम के खिलाफ खेल मंत्रालय की जांच चल रही है. सोशल मीडिया पर भारतीय टीम की पाकिस्तान से फोटो वायरल होने के अगले ही दिन यानी 8 फरवरी को खेल मंत्री किरण रिजिजू ने अपने बयान में कहा था कि, 'पाकिस्तान जाने के लिए किसी ने भी कबड्डी खिलाड़ियों को अनुमति नहीं दी. खिलाड़ियों को वीजा देने में हमारी कोई भूमिका नहीं है. हम कबड्डी फेडरेशन से बात करेंगे कि उन्होंने इस दौरे की सूचना पहले संबंधित विभाग या मंत्रालय को दी या नहीं. '

पाकिस्तान में आयोजित सर्कल कबड्डी वर्ल्ड कप है, जो कबड्डी मानकों से अलग है. सर्कल कबड्डी को इंटरनेशनल कबड्डी फेडरेशन की ओर से मान्यता भी प्राप्त नहीं है. यह एशियाई खेलों का एक हिस्सा है. सर्कल कबड्डी में गोल घेरे में खिलाड़ी खेलते हैं न कि स्टैंडर्ड कबड्डी. तय मानकों के अनुसार, एक कबड्डी टीम में 80 किलो वजन से नीचे के 7 खिलाड़ी होते हैं, जबकि सर्कल कबड्डी में वजन का कोई प्रतिबंध नहीं होता है. साथ ही इस टूर्नामेंट में एक टीम में 8 खिलाड़ी खेलते हैं. इसके अलावा खेल का मैदान भी गोलाकार ही रखा जाता है.

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