नई दिल्ली : शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकूर ने बुधवार को कहा है कि पीएम मोदी के सर्वोच्च अदालत परिसर में आने और मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई से मिलने में कुछ भी गलत नहीं है. उन्होंने कहा है कि न्यायमूर्ति को राजनीतिक दायरे से दूर रहना चाहिए किन्तु इसका यह अर्थ नहीं कि वे एकांतवास में ही रहें.
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पूर्व न्यायाधीश ने कहा है कि, ‘‘मुझे नहीं पता आपका दूरी से क्या अर्थ है? उन्होंने कहा है कि क्या आप यह कह रहे हैं कि मुझे पीएम मोदी को चेहरा नहीं दिखाना चाहिए? प्रधानमंत्री को सार्वजनिक समारोह में आमंत्रित करने में कुछ भी गलत नहीं था. शीर्ष अदालत के दरवाजे खोलना हर तरह से सही था.’’ उनसे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के पीएम मोदी की सीजेआई का अदालती कक्ष देखने की इच्छा होने पर सहमत होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि, ‘‘आप इसमें बहुत अधिक गहराई में जा रहे हैं और इस मामले को बहुत ज्यादा खींच रहे हैं.’’ उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने 25 नवंबर को बिमस्टेक देशों (बांग्लादेश, भूटान, म्यांंमार, नेपाल और थाईलैंड) के न्यायमूर्ति के लिए आयोजित रात्रि भोज में प्रधानमंत्री को न्योता दिया गया था.
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न्यायमूर्ति एमबी लोकूर ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा सीबीआई मामले और राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या मामले में मालिकाना हक विवाद की सुनवाई आदि के सवालों पर कोई उत्तर नहीं दिया. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के विरुद्ध बागी तेवर दिखाते हुए 12 जनवरी, 2018 को प्रेस वार्ता करने वाले शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठ नययमूर्तियों में शामिल लोकूर ‘द लीफलेट’ की तरफ से ‘भारतीय न्यायपालिका की स्थिति’ विषय पर आधारित किए गए एक सत्र पर बोल रहे थे.
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