नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अपने अहम फैसले में अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले का स्थायी समाधान निकालने की कवायद के तहत इसे मध्यस्थता के लिए सौंप दिया है। शीर्ष अदालत के आदेश के तहत सुप्रीम जस्टिस एफएम इब्राहिम खल्लीफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू को मध्यस्थ नियुक्त किया गया है।
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मध्यस्थता की पूरी प्रकिया फैजाबाद में बंद कमरे में कैमरे के समक्ष होगी। यानि इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी और मीडिया को भी इसकी कवरेज से दूर रहने के निर्देश दिए गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफएम इब्राहिम कलीफुल्ला को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में मध्यस्थता करने वाले पैनल का प्रमुख बनाया है। इस तरह न्यायमूर्ति कलीफुल्ला पैनल में प्रमुख भूमिका में होंगे।
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आपको बता दें कि न्यायमूर्ति कलीफुल्ला का जन्म 23 जुलाई 1951 को तमिलनाडु के शिवगंगई जिले के कराईकुडी में हुआ था। उनका पूरा नाम फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला है। जस्टिस कलीफुल्ला 20 अगस्त 1975 को एक अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए थे, जिसके बाद उन्होंने टी एस गोपालन एंड कंपनी लॉ फर्म में श्रम कानून की प्रैक्टिस शुरू की थी। 2 मार्च 2000 में वे मद्रास उच्च न्यायालय में बतौर जज नियुक्त किए गए। फरवरी 2011 में वे जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय के सदस्य बने और उन्हें दो महीने बाद कार्यवाहक प्रमुख न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। सितंबर 2011 में उन्हें जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था। वे 22 जुलाई 2016 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए।
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