न्यायाधीश करनन ने कहा दलित होने के कारण झेलना पड़ रही कार्रवाई
न्यायाधीश करनन ने कहा दलित होने के कारण झेलना पड़ रही कार्रवाई
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नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति करनन को लेकर निर्णय लिए जाने और उन्हें किसी भी तरह का न्यायायिक कार्य न करने देने को लेकर करनन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि उन्हें जानबूझकर न्यायिक कार्य से दूर रखा जा रहा है। दरअसल न्यायमूर्ति करनन का कहना है कि वे दलित हैं और इसी कारण से उनका कैरियर खराब किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मेरे विरूद्ध जातिगत अत्याचार किया गया है। जस्टिस करनन के विरूद्ध जमानती वारंट जारी कर दिया गया। इतना ही नहीं उन्हें 10 हजार रूपए का पर्सनल बाॅन्ड भरने के आदेश दे दिए गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख न्यायाधीश जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को वारंट की तामील करने के लिए कहा।

ऐसे में करनन ने कहा कि उनके खिलाफ दुर्भावना से कार्रवाई की जा रही है। उनका कहना था कि मेरे विरूद्ध कोई भी सबूत नहीं हैं। मगर इसके बाद भी कार्रवाई की गई है। हालांकि न्यायाधीश करनन को 10 मार्च तक अपनी बात कहने का अधिकार दिया गया था। उन्हें तीन सप्ताह का समय दिया गया था।

मगर वे सर्वोच्च न्यायालय के सामने पेश नहीं हुए और फिर 7 जजेस की बेंच ने उनके खिलाफ अवमानना को लेकर कार्रवाई की। करनन का मद्रास उच्च न्यायालय से कोलकाता उच्च न्यायालय में स्थानांतरण किया गया था। अब उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया गया है। देश में संभवतः यह पहला मामला है जब हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश पर कार्रवाई की गई है।

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