अखंड सौभाग्य की लालिमा लाता है  बृहस्पति देव का व्रत
अखंड सौभाग्य की लालिमा लाता है बृहस्पति देव का व्रत
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इस सृष्टि सौर प्रणाली में, गुरु, जिसे हम बृहस्पति कहते है.बृहस्पति सूर्य के बाद दूसरा सबसे बड़ा स्थान रखता है. बृहस्पति देवताओं की दिव्य गुरु के रूप में प्रतिष्ठित है।मानव जीवन में बृहस्पति की बहुत ही अधिक महत्वता है मानव जीवन में आई विपत्ति , कष्ट परेशानियों का निवारण करता है बृहस्पति देव का व्रत , पापों से मुक्ति जीवन में शक्ति , वीरता, दीर्घायु आदि प्रदान करता है .

यह व्रत इस जगत में निःसंतान, होने जे बहुत से लोग परेशान रहते है मानव के दाम्पत्य जीवन में बहुत से कारण आते है. इन अभी समस्याओं से मुक्ति दिलाता है यह व्रत आपके जीवन में अच्छी शिक्षा के लिए सहायक है । गुरुवार बृहस्पति की पूजा के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। इस व्रत के दिन भक्तजनों द्वारा बृहस्पति देव की पूजा की जाती है. भक्त बड़े ही विधि - विधान से पूजा-अर्चना कर ध्यान पूर्वक व्रत कथा का श्रवण करते है और अपने जीवन को सुखद और संपन्न बनाते है .

मुख्य रूप से हिन्दू धर्म में गुरुवार का व्रत बड़ा ही फलदायी माना जाता है। गुरुवार के दिन जगतपालक श्री हरि विष्णुजी की पूजा का विधान है। कई लोग बृहस्पतिदेव और केले के पेड़ की भी पूजा करते हैं। बृहस्पतिदेव को बुद्धि का कारक माना जाता है। केले के पेड़ को हिन्दू धर्मानुसार बेहद पवित्र माना जाता है।

मान्यता है की इनकी पूजा विधि-विधान के अनुसार की जानी चाहिए. व्रत वाले दिन सुबह उठकर पूजन करना चाहिए. पूजन पीली वस्तुएं, पीले फूल, चने की दान, पीली मिठाई, पीले चावल आदि का भोग लगाकर किया जाता है. इस व्रत में केले का पूजन ही करें. कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्ध होकर मनोकामना पूर्ति के लिये बृहस्पतिदेव से प्रार्थना करनी चाहिए.

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