नई दिल्ली: समलैंगिक रिश्तों की वकालत करने वाले को एक आस लगी है। सर्वोच्च न्यायालय समलैंगिक रिश्तों को अपराध बताने वाली आईपीसी की धारा 377 के विरूद्ध सभी 8 क्यूरिटिव पिटिशन्स पर सुनवाई हेतु वे तैयार हो गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने 5 न्यायाधीशों की बेंच को समलैंगिकता से जुड़ा मसला सौंप दिया है। सर्वोच्च न्यायालय की बेंच द्वारा आईपीसी की धारा 377 को लेकर विस्तार से सुनवाई की जानी है।
दरअसल इस धारा के तहत समलैंगिकता को मान्यता नहीं मिली तो दूसरी ओर इसे अपराध माना गया, सर्वोच्च न्यायालय में मंगलवार को क्यूरिटिव पिटिशन की सुनवाई हुई। क्यूरिटिव पिटिशन की सुनवाई ओपन होने पर यह बात सामने आई कि इस सुनवाई के दौरान न्यायालय में मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड और चर्च आॅफ इंडिया के प्रतिनिधि मौजूद थे। 3 न्यायाधीशों की बेंच ने समलैंगिकता के मसले पर सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान यह मामला 5 जजों की बेंच को सौंप दिया गया। आईपीसी की धारा 377 के तहत होमोसेक्शलिटी को अपराध के स्तर पर माना जाता है। मगर इस मामले में सुनवाई करने का निर्णय सामने आया है। जिसमें कहा गया है कि देश में फिर होमोसेक्शुअलिटी पर बहस की जरूरत है। माना जा रहा है कि इस मामले में बहस प्रारंभ हो सकती है।