इमरजेंसी के 45 साल पूरे, नड्डा बोले - लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय
इमरजेंसी के 45 साल पूरे, नड्डा बोले - लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय
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नई दिल्ली: 25 जून 1975. भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह काले अक्षरों में दर्ज है. तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के कहने पर 25 जून 1975 को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ने इमरजेंसी यानी आपातकाल की घोषणा की थी. आज आपातकाल की घोषणा को 45 साल बीत गए हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसे लेकर कांग्रेस पर हमेशा हमलावर रहती है.

भाजपा की तरफ से आज एक वीडियो साझा किया गया, जिसका शीर्षक है- 25 जून 1975, आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय. इसके साथ ही भाजपा ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा है कि, 'कांग्रेस की काली करतूत और भारतीय लोकतंत्र के सबसे दुःखद अध्याय 25 जून 1975 इमरजेंसी के विरोध में उठे हर स्वर का हृदय से वंदन.' वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, 'भारत उन सभी महानुभावों को नमन करता है, जिन्होंने भीषण यातनाएं सहने के बाद भी आपातकाल का जमकर विरोध किया. ये हमारे सत्याग्रहियों का तप ही था, जिससे भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों ने एक अधिनायकवादी मानसिकता पर सफलतापूर्वक जीत प्राप्त की.'

25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक यानी 21 महीने के लिए देश में इमर्जेन्सी लागू किया गया था. तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन पीएम इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल का ऐलान किया था. यह भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था.

 

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