कबड्डी से क्रिकेट तक का सफर
कबड्डी से क्रिकेट तक का सफर
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पेशेवर कबड्डी खिलाड़ियों से भरे परिवार में पैदा होकर अंडर-19 विश्वकप जीतने वाली भारतीय टीम का सदस्य बनने तक इशान पोरेल ने बहुत कम समय में एक लंबा सफर तय किया है। सेमीफाइनल में पाकिस्तानी बल्लेबाजी की बखिया उधेड़ने वाले पोड़ेल ने शनिवार को फाइनल में आस्ट्रेलिया के दो अहम विकेट लिए थे। यूं तो पाकिस्तान के साथ सेमीफाइनल मैच के बाद ही हुगली जिले के चंदननगर में जश्न का माहौल बन गया था। 

लेकिन ईशान के घरवालों, परिजनों, मित्रों और शुभचिंतकों को धड़कते दिल से फाइनल का इंतजार था। और इशान ने किसी को निराश नहीं किया। अब फाइनल जीतते ही पूरा चंदननगर जश्न मना रहा है। वहां होली के महीने भर पहले ही होली के रंग-गुलाल उड़ने लगे हैं।

इशान के दादा सुभाष चंद्र पांडेय कबड्डी खेलते थे। इशान के पिता चंद्रनाथ पोरेल को खेल कोटे में ही पूर्व रेलवे में नौकरी मिली है। चंद्रनाथ कहते हैं कि टूर्नामेंट में घायल होकर लगातार दो मैचों में इशान के नहीं खेलने से हम चिंतित ते। लेकिन हम सबको भरोसा था कि वह वापसी जरूरी करेगा। वे बताते हैं कि इशान बचपन से ही अपनी धुन का पक्का रहा है। क्रिकेट सीखने के लिए वह रोजाना 40 किमी का सफर तय कर कोलकाता जाता था।

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