वो शक्स जो बीस बार हो चुका था गिरफ्तार, फिर भी बना एक देश का राष्ट्रपति
वो शक्स जो बीस बार हो चुका था गिरफ्तार, फिर भी बना एक देश का राष्ट्रपति
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आमतौर पर हमारे देश में ऐसे लोगों को राष्ट्रपति के लिए चुना जाता है, जिनके ऊपर कोई भी आपराधिक मुकदमा न हो, किसी मामले में उसकी गिरफ्तारी न हुई हो, वह जेल में न रहा हो. लेकिन आज हम आपको दुनिया के एक ऐसे राष्ट्रपति के बारे में बताने जा रहे हैं, जो राष्ट्रपति बनने से पहले एक-दो बार नहीं बल्कि कम से कम 20 बार गिरफ्तार हो चुका था. फिर भी वह देश का राष्ट्रपति बना और पूरे चार वर्ष तक शासन किया. उन्हें 'द आइलैंड प्रेसिडेंट' के नाम से भी जाना जाता है. इस राष्ट्रपति का नाम है मोहम्मद नशीद. ये हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय देश मालदीव के राष्ट्रपति रह चुके हैं. उन्होंने 2008 से लेकर 2012 तक देश पर शासन किया था. उन्हें देश के पहले लोकतांत्रिक निर्वाचित राष्ट्रपति के तौर पर जाना जाता है. साल 2016 में उन्हें देश से निकाल दिया गया था. उनपर विपक्षी पार्टी के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आतंकवाद में शामिल होने का आरोप लगाया था.

बता दें की 52 वर्षीय मोहम्मद नशीद काफी पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं. शुरुआती पढ़ाई उन्होंने मालदीव के ही स्कूल से की, लेकिन उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह श्रीलंका के कोलंबो चले गए. फिर वहां से इंग्लैंड, फिर लीवरपुल, जहां उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. इसके बाद 1990 में वो मालदीव लौट आए और एक नई पत्रिका 'सांगू' के सहायक संपादक बने, जो तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम की सरकार की आलोचना किया करता था. इसके बाद 'सांगू' को प्रतिबंधित कर दिया गया और मोहम्मद नशीद को हाउस अरेस्ट की सजा सुनाई गई. फिर उसी वर्ष बाद में उन्हें जेल में डाल दिया गया और 18 महीने तक एकांत कारावास में रखा गया. साल 1992 में मोहम्मद नशीद को फिर तीन साल जेल की सजा सुनाई गई, लेकिन 1993 में उन्हें रिहा कर दिया गया. इसके बाद नशीद ने साल 1994 में एक स्वतंत्र राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए सरकार से अनुमति मांगी, लेकिन उनका अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया. इसके बाद 1996 में उन्हें फिर से छह महीने जेल की सजा हुई, क्योंकि उन्होंने फिलीपींस की एक पत्रिका में 1993 और 1994 के मालदीव चुनावों के बारे में लिख दिया था. जेल से छूटने के बाद मोहम्मद नशीद ने दो साल तक राजनीति में आने के लिए खूब मेहनत की और आखिरकार 1999 में वह पीपल्स मजलिस पार्टी की तरफ से मालदीव की संसद के सदस्य बने. हालांकि उनकी ये खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकी और अक्तूबर 2001 में उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और अगले ही महीने उन्हें एक दूरस्थ द्वीप में ढाई साल के निर्वासन की सजा सुनाई गई. फिर मार्च 2002 में उन्हें पार्टी से भी निष्कासित कर दिया गया, क्योंकि वो पिछले छह महीने से संसद की एक भी कार्यवाही में नहीं गए थे. हालांकि इसी बीच अगस्त में उन्हें रिहा कर दिया गया. 

सितंबर, 2003 में जब मालदीव की राजधानी माले में दंगे भड़के, उसके बाद मोहम्मद नशीद मालदीव छोड़कर श्रीलंका पहुंचे. लगभग डेढ़ वर्ष तक श्रीलंका में रहने के बाद अप्रैल 2005 में वह फिर से मालदीव आए. इत्तेफाक से उसी साल जून में मालदीव सरकार ने राजनीतिक दलों को चुनाव में भाग लेने की अनुमति देने वाला कानून पारित किया, जिसके बाद नशीद ने मालदीव में अधिक से अधिक लोकतंत्र लाने के लिए एक अभियान शुरू किया. हालांकि इसके बाद उन्हें फिर से हिरासत में ले लिया गया. वह 2005 से 2006 तक हाउस अरेस्ट में रहे. इन सबका फायदा उन्हें 2008 में पहली बार मालदीव में हुए राष्ट्रपति चुनाव में मिला और वह तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को हराने में कामयाब रहे और मालदीव की सत्ता पर काबिज हो गए. मोहम्मद नशीद ने एक राष्ट्रपति के तौर पर अपने देश में जलवायु परिवर्तन को लेकर काफी काम किया, जिसके बाद उन्हें दुनियाभर में पहचाना जाने लगा. चूंकि मालदीव समुद्र से महज छह फीट की ऊंचाई पर बसा है, इसलिए देश के कभी भी डूब जाने के संभावित खतरे को देखते हुए दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के उन्होंने पानी के अंदर एक बैठक की।नवंबर 2018 में जब मालदीव में राष्ट्रपति के चुनाव हुए, उसमें मोहम्मद नशीद की पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी ने जीत हासिल की और इब्राहिम मोहम्मद सोलिह राष्ट्रपति बने. इसके बाद 26 नवंबर, 2018 को मालदीव की सुप्रीम कोर्ट ने नशीद की सजा को पलटते हुए कहा कि उनपर गलत तरीके से आरोप लगाए गए थे, उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलना चाहिए था. तब जाकर नशीद को राहत मिली और वो फिर से अपने देश वापस लौट गए.

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