3 मंजिला मकान को ग्रीन बिल्डिंग बनाकर सालाना कमाते हैं 70 लाख, मिलिए रामवीर सिंह से
3 मंजिला मकान को ग्रीन बिल्डिंग बनाकर सालाना कमाते हैं 70 लाख, मिलिए रामवीर सिंह से
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दुनियाभर में कई लोग हैं जो अपने कारनामों से किसी को भी हैरान कर जाते हैं। इसी लिस्ट में एक नाम शामिल है UP के बरेली के रहने वाले रामवीर सिंह का। रामवीर सिंह किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने लंबे वक्त तक एजुकेशन सेक्टर और फिर मीडिया में काम किया। हालाँकि इसके बाद वह वापस अपने गांव चले गए और उसके बाद सबसे पहले तो उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग में हाथ आजमाया और जब वह कामयाब हुए तो हाइड्रोपोनिक सिस्टम से सब्जियां उगाने लगे। देखते ही देखते उन्होंने अपने तीन मंजिला घर को पूरी तरह से हाइड्रोपोनिक सिस्टम में बदल दिया है। जी हाँ और उनके घर में अब 10 हजार से ज्यादा प्लांट लगे हैं। केवल यही नहीं बल्कि वह देश के अलग-अलग राज्यों में दूसरे लोगों के घरों में भी हाइड्रोपोनिक सिस्टम मॉडल डेवलप कर रहे हैं। इसके चलते सालाना 70 से 80 लाख रुपए उनका बिजनेस होने लगा है। 43 साल के रामवीर का कहना है कि ''खेती में मेरी हमेशा से रुचि रही है। पूरा परिवार खेती से जुड़ा रहा है और अपने पास अच्छी खासी जमीन भी है। पहले लोग पारंपरिक खेती करते थे, घर-परिवार का काम चल जाता था। बिजनेस के लिहाज से खेती नहीं करते थे।''

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उनका कहना है, 'साल 2009 में मेरे दोस्त के चाचा को कैंसर हो गया। वे किसी तरह का नशा वगैरह नहीं करते थे। फिर भी कैंसर, यह थोड़ी ताज्जुब वाली बात थी। जब डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि फल और सब्जियों में मिले केमिकल की वजह से उन्हें यह बीमारी हुई है। इसके बाद मुझे रियलाइज हुआ कि हम लोग भी जाने-अनजाने में केमिकल का शिकार हो रहे हैं। अगर हमें खुद को और अपने लोगों को बचाना है तो खुद खेती करनी होगी और वो भी ऑर्गेनिक तरीके से।'वैसे रामवीर हाइड्रोपोनिक सिस्टम से केवल सब्जियां ही नहीं उगा रहे हैं बल्कि स्ट्रॉबेरी सहित कई फ्रूट्स भी उगा रहे हैं। आज रामवीर  एक सफल ऑर्गेनिक फार्मर के रूप में पहचाने जाते हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि रामवीर महाराष्ट्र, ओडिशा सहित कई राज्यों में लोगों के घरों में हाइड्रोपोनिक सिस्टम डेवलप कर चुके हैं। जी हाँ और उन्होंने खुद खुलासा किया कि, 'साल 2016 में मेरा दुबई जाना हुआ। वहां मैंने देखा कि कैसे लोग बिना जमीन के खेती करते हैं और बढ़िया मुनाफा भी कमाते हैं। पहली बार मुझे हाइड्रोपोनिक सिस्टम को करीब से देखने का मौका मिला। मुझे यह आइडिया अच्छा लगा। कुछ दिनों तक रहकर मैंने इसकी पूरी प्रोसेस समझी, वहां के किसानों से इसकी ट्रेनिंग ली। इसके बाद वापस इंडिया लौट आया। सबसे पहले अपने घर को मैंने हाइड्रोपोनिक सिस्टम में डेवलप किया। अच्छी खासी रकम भी खर्च की और हर तरह के फल और सब्जियों के प्लांट लगाए। जल्द ही मुझे उसकी उपज का भी लाभ मिलने लगा।'

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इसी के साथ रामवीर का कहना है कि ''मेरा टारगेट है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ऑर्गेनिक खेती पहुंचे। ज्यादा से ज्यादा लोग सही सब्जियां खाएं। इसलिए मैं यह सिस्टम दूसरे लोगों के लिए भी डेवलप कर रहा हूं। UP के साथ ही महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में लोगों के लिए हाइड्रोपोनिक सिस्टम इंस्टॉल कर चुका हूं। इसमें डोमेस्टिक के साथ ही कमर्शियल लेवल पर फार्मिंग करने वाले लोग भी शामिल हैं। वे इसके जरिए अच्छी आमदनी हासिल कर रहे हैं।''

आपको यह भी बता दें कि रामवीर ने https://vimpaorganic.com/ नाम से खुद की वेबसाइट तैयार की है। उनका कहना है- ''जिस भी किसान को या व्यक्ति को अपने यहां हाइड्रोपोनिक सिस्टम लगाना है, वह मुझसे संपर्क करता है। मैं सबसे पहले उसे ट्रेनिंग देता हूं, पूरी प्रोसेस समझाता हूं। इसके बाद उसके यहां हम हाइड्रोपोनिक सिस्टम इंस्टॉल करते हैं। साथ ही समय-समय पर हम उसे फोन के माध्यम से या वीडियो कॉल के जरिए गाइड भी करते रहते हैं। ताकि किसी तरह की दिक्कत नहीं हो।''

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क्या होती है हाइड्रोपोनिक फार्मिंग?- हाइड्रोपोनिक तकनीक यानी खेती की एक ऐसी विधि है जिसमें जमीन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। जी हाँ, बल्कि उसकी जगह पाइप या स्टैंड में प्लांटिंग की जाती है। इसके बाद ऐसी व्यवस्था की जाती है कि प्लांट के डेवलपमेंट के लिए जरूरी चीजें वॉटर मीडियम के जरिए मुहैया कराई जा सकें। ऐसे में कोकोपीट यानी नारियल के वेस्ट से तैयार नेचुरल फाइबर का इस्तेमाल मिट्टी की जगह किया जाता है और कई बार कंकर और पत्थर का भी इस्तेमाल किया जाता है। उसके बाद पानी के जरिए जरूरी मिनरल्स प्लांट तक पहुंचाया जाता है।

हालाँकि कमर्शियल लेवल पर हाइड्रोपोनिक सिस्टम लगाना है तो आपको पॉली हाउस बनवाना होगा। ध्यान रहे सामान्य खेती के मुकाबले इसमें 30% ही पानी की जरूरत होती है इसलिए ऐसी खेती में चाहे गर्मी हो या ठंड सिंचाई के टेंशन से मुक्ति मिल जाती है। इसी के साथ ही इसे ऑटोमेटिक कंट्रोल सिस्टम के जरिए ऑफिस में बैठकर भी पौधों की देखभाल की जा सकती है। एक स्विच के जरिए पौधों में पानी और जरूरी मिनरल्स पहुंचाया जा सकता है।

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