कोरोना संक्रमण के बीच सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू है, वायरस का पता लगाने के लिए आवश्यक परीक्षण साम्रगी की कमी. साथ ही, सरकारी अधिकारियों के पास वह डेटा नहीं है जिसकी मदद से वह उपयुक्त स्वास्थ्य निर्णय ले सके.
वर्तमान में हो रहे अधिकांश टेस्ट में जैव रसायन का उपयोग हो रहा हैं जो कि महंगी और उत्पादन में मुश्किल हैं. बता दें कि परीक्षण के अच्छे परिणामों के लिए बदलाव की आवश्यकता होती है. बड़ी संख्या में टेस्ट करने पर कभी कभी गलत परिणाम भी सामने आ जाते है. इस वजह से कोरोना से मुक्त हुए मरीज अभी भी संक्रमित हो सकते है. क्योकि उनके शरीर में एंटीबॉडी तैयार हुई है कि नही. इसका कोई प्रभावी टेस्ट नहीं है. जल्द यह बात जानने के लिए नई परीक्षण प्रणाली तैयार करने की आवश्यकता है.
इस समस्या से निपटने के लिए सेंटर फॉर मैटेरियल्स इन रिसर्च एंड एप्लीकेशंस के भौतिक वैज्ञानिकी के प्रोफेसर मिगुएल जोस याकामन ने इन सभी चुनौतियों से पार पाने के लिए एक नई परीक्षण तकनीक विकसित करने के लिए एक टीम बनाई है. जिसके पास नए परीक्षण को विकसित करने के लिए एक वर्ष का समय है. वहीं, जोस याकामन ने इस लक्ष्य को भी जल्द हासिल करने की योजना बनाई है.
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