प्लास्टिक का विकल्प है जूट पर्यावरण बचाने के लिए
प्लास्टिक का विकल्प है जूट पर्यावरण बचाने के लिए
Share:

हम छोटी छोटी आदतों में सुधार कर पर्यावरण के साथ दोस्ताना हो सकते हैं।' आज विश्व पर्यावरण दिवस के दिन जूट फाउंडेशन के उदघाटन समारोह में मुख्य अतिथि  श्री सी. के मिश्रा सचिव, पर्यावरण-वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने यह बात कही। 

श्री मिश्रा ने उदाहरण देते हुए बताया कि 'टूथ ब्रश के बेकार होने के बाद उसे हम फेंक देते हैं,जो आबोहवा के लिए सबसे नुकसानदेह है।उसी तरह अपने वाहनों के आंतरिक साज-सज्जा में प्रयुक्त साधनों से प्लास्टिक कचरा बढ़ता जा रहा है। प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर जूट के प्रचलन की नसीहत दी।

उल्लेखनीय है कि अपने रोज-ब -रोज की ज़िन्दगी में जूट की ख़ास उपयोगिता और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद के रूप में इसकी ख़ास महत्ता को ध्यान में रखते हुए बहुद्देशीय संकल्पों वाली संस्था जूट फॉउंडेशन की स्थापना की गई है । यह फॉउंडेशन मुख्य तौर से गरीबी से मुक्ति और परिवारों की आर्थिक सम्पन्नता केलिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। फॉउंडेशन का मानना है कि जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी, ऊर्जा संकट, वैश्विक स्वास्थ्य से जुड़े मामले, खाद्य सुरक्षा और महिलाओं की आधिकारिता जैसे महत्वपूर्ण मसलों को ध्यान में रखकर एकीकृत व्यवस्था में कोई सकारात्मक पहल की ख़ास जरुरत है। इससे सामाजिक बदलाव से जुड़े ठोस उपाय भी तलाशे जा सकते हैं। 

जूट फॉउंडेशन आम जनता के बीच जूट उत्पादों की महत्ता और उसकी प्रासंगिकता को लेकर जागरूकता की पहल करने केलिए वचनबद्ध होगा। फॉउंडेशन जूट को शत-प्रतिशत प्राकृतिक तरीके से सड़नशील होने के कारण पर्यावरण के लिए अनुकूल होने की बात करता है। यह जूट को एक अल्पव्ययी तथा टिकाऊ उत्पाद होने की जानकारी आम जनता को देगा। इसके उत्पादन से मिट्टी में नाइट्रोजन, फोस्फरस और पोटेसियम की मात्रा बढ़ती है तथा वातावरण में १३.५ मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है और १०  मिलियन टन ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है। जूट उत्पादन से ५० लाख परिवारों को रोजगार पैदा होता है। 

जूट फॉउंडेशन लाखों टन प्लास्टिक उत्पादों और कचरों से पैदा होने वाले भयावह माहौल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है। फॉउंडेशन  मुख्य तौर से प्लास्टिक उत्पादों से होनेवाली विपदा और हानि को नकारने को लेकर लोकमानस में चेतना पैदा करने का काम करेगा । जूट फॉउंडेशन जूट की खेती में लगे किसानों, इस उद्योग में जुटे मजदूरों, जूट आधारित शिल्प-कला और कारीगरी में  लोगों के अलावा इस व्यापार में सक्रीय प्रशिक्षकों, सहायक उद्योगों और करोड़ों ग्राहकों के हितों को लेकर पर प्रतिबद्ध है। फिलहाल,  जूट फॉउंडेशन, किसान-मजदूर से जुड़े मुद्दों के अलावा आरएंडडी की उत्कृष्टता केलिए सक्रीय है। लिहाजा,  जूट फॉउंडेशन का आदर्श वाक्य है समृद्धि-कल्याण और विकास।  

समारोह की शुरुआत में जूट फाउंडेशन के चेयरमैन सिद्धार्थ सिंह ने जोर देकर कहा कि दुनिया भर मे जूट उत्पादन के मामले में हम अग्रणी हैं।इस लिहाज से समूची दुनिया को हम जूट की उपायोगिता का संदेश देना चाहते हैं।इसी वजह से फाउंडेशन का उद्घाटन विश्व पर्यावरण दिवस के दिन किया गया है। श्री सिंह ने अपनी इच्छा बताई कि हम एक जूट मार्क बनाना चाहते हैं जो उत्तम क्वालिटी का जूट बाजार को उपलब्ध करवाएंगे।इस कदम से किसान,मजदूर,कारीगर,जूट व्यापारी कोऔर ग्राहकों के लिए सुविधाएं मिल पाएंगीं। श्री सिंह ने भारत मे जूट के अच्छे भविष्य की संभावना को लेकर आशावादी है।
५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जूट फॉउंडेशन की स्थापना की गई। स्थापना समारोह लोधी रोड स्थित  इंडिया हैबिटेट सेंटर के सिल्वर ओक में आयोजित किया गया।

समारोह को ख़ास तौर से सम्बोधित करते हुए भारत सरकार के कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री एस. के पटनायक ने भी आम ज़िन्दगी में जूट की उपयोगिता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने जूट के उत्पाद की गुणवत्ता की जरूरतों को ध्यान में रखकर उत्तम क्वालिटी के बीज और अन्य साधनों की उपलब्धता की ओर ध्यान आकृष्ट करवाया। केंद्र सरकार की ओर दी गयी सुविधाओं को लेकर उन्होंने जूट उत्पादकों के लिए हर संभव प्रोत्साहन की बात की। बाजार में जूट की मांग दिनोंदिन बढ़ने की बात श्री पटनायक ने की।'पहले इसका उपयोग महज बोरा बनाने में होता है।लेकिन अब बोरा के अलावा अपनी ज़िंदगी साज सज्जा और रोज की जरूरतों में जूट की खपत की बड़ी संभावनाएं हैं।' 

इस अवसर पर एरिक सोल्हेम, अंडर सेक्रेटरी जनरल, यूनाइटेड नेशंस व कार्यकारी निदेशक, यूएन एनवायरनमेंट मुख्य भाषण में अपनी आदतों में सुधार करने की सलाह दी। सोल्हेम ने दुनिया भर के कई मुल्कों में प्लास्टिक कचरा से पैदा हुई समस्या की ओर सबका ध्यान खींचा।जैसे शीतल पेय के लिए बोतल के साथ स्ट्रॉ के उपयोग,समुद्र में पर्यटकों द्वारा प्लास्टिक बोतल फेंकने से जलीय जीवों की तबाह हो रही ज़िन्दगी से पारिस्थितिकी का भयानक संकट पैदा हो चुका है। एरिक के मुताबिक जब तक हम अपनी छोटी छोटी आदतों में सुधार नहीं करते,तबतक पर्यावरण का संकट बना रहेगा।उन्होंने आधुनिक जीवन मे जूट के उपयोग की बात की।

पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाले कारक

विश्व पर्यावरण दिवस : एनआईटी रायपुर की नई पहल

पर्यावरण दिवस पर प्यारी सी कविता...

 

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
Most Popular
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -