बड़ी खुशखबरी: अब स्वीट कैंडी से होगा मलेरिया का इलाज!
बड़ी खुशखबरी: अब स्वीट कैंडी से होगा मलेरिया का इलाज!
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आप सभी जानते ही होंगे दुनियाभर में हर साल मलेरिया के कारण चार लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। जी हाँ और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इस बीमारी के कारण अनुमानित दो तिहाई मौतें होती हैं। वहीं अब बच्चों को मलेरिया से बचाने की दिशा में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के शोधार्थियों को बड़ी सफलता मिली है। जी दरअसल शोधार्थियों की एक टीम ने मलेरिया के इलाज के लिए एक अनोखी दवा 'स्वीट कैंडी' विकसित की है। जी हाँ और मिली जानकारी के तहत एरिथ्रिटाल से बनाई गई यह स्वीट कैंडी मलेरिया के इलाज में कारगर साबित होगी।

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आप सभी को बता दें कि जेएनयू के स्पेशल सेंटर फार मालिक्यूलर मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर शैलजा सिंह ने इस बारे में बताया. उन्होंने कहा कि, 'एरिथ्रिटाल (शुगर अल्कोहल) एक कार्बनिक यौगिक है। चीनी के विकल्प के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है। मक्के का स्टार्च निकालकर उसे ग्लूकोज में बदला जाता है फिर ग्लूकोज का किण्वन कर एरिथ्रिटाल बनाया जाता है। इससे निर्मित कैंडी को मलेरिया के खिलाफ प्रभावी पाया गया है और इसे पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है।' आप सभी को बता दें कि यह शोध अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'बायो एक्स आरआइवी' में भी प्रकाशित हुआ है.

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आप सभी को बता दें कि मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है, जो संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छरों के काटने से होता है। इसी के साथ आपको यह भी बता दें कि मलेरिया की दवा बहुत कड़वी होती है और इसे खाते ही लोग उल्टी कर देते हैं। ऐसे में इसे बच्चों को खिलाना बहुत मुश्किल भरा होता है। अगर मलेरिया की दवा स्वीट कैंडी की तरह हो तो बच्चे इसे आसानी से खा सकेंगे और इस वजह से एरिथ्रिटाल को मलेरिया की दवाओं के कांबिनेशन के साथ दिया गया है।

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आपको यह भी जानकारी दे दें कि एरिथ्रिटाल कितना प्रभावी है, यह पता लगाने के लिए चूहों पर ट्रायल किया गया। जी हाँ और इसके लिए चूहों के छह अलग-अलग समूह बनाए गए। इनमे पहला समूह मलेरिया परजीवी प्रभावित नहीं था। वहीं दूसरे समूह को एरिथ्रिटाल दिया गया। इसी के साथ तीसरे समूह को मलेरिया की दवा आर्टिसुनेट दी गई। चूहों के चौथे समूह को आर्टिसुनेट की अधिक डोज (60 एमजी) दी गई। वहीं पांचवें समूह को एरिथ्रिटाल और आर्टिसुनेट दोनों दिया गया, जबकि छठे समूह को कोई दवा नहीं दी गई थी। अंत में यह पाया गया कि एरिथ्रिटाल अकेले और मलेरिया की दवा के साथ देने पर अधिक प्रभावी था। 

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