देश की एकता को खंड - खंड करता JNU मसले का महिमा मंडन
देश की एकता को खंड - खंड करता JNU मसले का महिमा मंडन
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बचपन में आपने एक किसान की कहानी सुनी होगी। उस किसान के बहुत सारे बेटे रहते हैं। जब किसान का अंतिम समय निकट होता है तो वह अपने बेटों को अपने पास बुलाता है और उन्हें कुछ लकडि़यों का गट्ठा देता है दूसरी ओर वह किसान अपने बेटों को एक लकड़ी देता है और लकडि़यों के गट्ठे को और लकड़ी को तोड़ने के लिए कहता है। उसके बेटे लकड़ी को तो तोड़ देते हैं लेकिन गट्ठे को नहीं तोड़ पाते हैं। ऐसे में वह अपने बेटों को मिलजुलकर रहने की सीख देता है। वह कहता है कि मिलकर रहने में बड़ा लाभ है।

वर्तमान में देश को वैसी ही किसी सीख की आवश्यकता है। दरअसल भारत को पहले पाकिस्तान में बांटा गया फिर बांग्लादेश अस्तित्व में आया। पहले भी देश में अलग बोडो लैंड और खालिस्तान की बातें उठती रही हैं। यही नहीं पाकिस्तान द्वारा छद्म युद्ध कर कश्मीर को हथियाने की बात किसी से छुपी नहीं है ऐसे में भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी अलग प्रतिष्ठा रखने वाला भारत अखंड से खंड होने के अंदेशे से प्रभावित हो रहा है।

यह देश के लिए काफी घातक साबित हो सकता है। देश में पहले ही राष्ट्रप्रेम की भावना कम थी लेकिन अब राष्ट्रप्रेम को ही तोड़ा जा रहा है। हालांकि स्पष्टरूप से यह नज़र आता है कि दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में लगाए गए राष्ट्रविरोधी नारों का संकुचित राजनीति से संबंध है। इस तरह की राजनीति कर देश को अस्थिर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस तरह से एक माहौल गर्माया जा रहा है जिससे देश की एकता प्रभावित हो रही है।

इसका सीधा लाभ संसद में बैठे विपक्ष को मिल रहा है। वे वर्ग विशेष को अप्रत्यक्ष समर्थन कर रहे हैं लेकिन इससे देश की एकता खंडित हो रही है। पाकिस्तान समर्थित नारेबाजी से जेएनयू के ही साथ भारतीय राजनीति का परिदृश्य प्रभावित हो रहा है। इस आग को हवा देकर इसकी चिंगारियों को दूर - दूर तक फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। जिस तरह से संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरू की बरसी का समर्थन कर भारत के टुकड़े करने की बात कही जा रही है वह राष्ट्रीय एकता को खंडित कर रहा है।

खबरियों चैनलों पर इसे लेकर प्रसारित होने वाले समाचारों का महिमा मंडन टीआरपी तो जनरेट कर रहा है, लेकिन तिरंगे में समाहित तीन प्रमुख रंगों के बीच मन की दूरिया बढ़ा रहा है। हालांकि यह बात भी गलत नहीं है कि समाचार चैनल राष्ट्रविरोधी नारेबाजी की बात को दर्शाकर प्रमुख समाचार प्रसारित करने में लगे हैं लेकिन आवश्यकता से अधिक इस मसले को तूल देकर राजनीति के माध्यम से देश में वैमनस्य फैलाया जा रहा है।

इस मसले पर भी भारत की राजनीति हिंदूवादी बनाम तुष्टिकरण की ओर बंटती नज़र आ रही है। लाल झंडे लहराने वाले साफतौर पर इस घटना को देशद्रोह मानने से बच रहे हैं। ऐसे में उनका राजनीतिक स्वार्थ स्पष्ट नज़र आता है। मगर इन सभी से देश की अखंडता प्रभावित हो रही है। 

'लव गडकरी'

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