JNU विवाद को लेकर JNU के पूर्व प्रोफेसर ने लौटाया अपना अवॉर्ड
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नई दिल्ली : जेएनयू में हुए देशद्रोह के मामले में पुलिस को उमर खालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य के अलावा तीन अन्य छात्रों की भी तलाश थी। इस संबंध में उन्होने पत्र लिखकर दिल्ली पुलिस को सूचित किया कि वो पूछताछ या गिरफ्तारी के लिए तैयार है। पत्र में उन्होने अपने संपर्क का ब्योरा भी दिया। इस मामले में जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर ने अपना पुरस्कार यह कहते हुए लौटा दिया कि सरकार का इस मामले से निपटने का तौर-तरीका सही नहीं है।

जेएनयू छात्र संघ के महासचिव रमा नागा, छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष आशुतोष कुमार और अनंत प्रकाश उमर औऱ अनिर्बान के साथ ही 12 फरवरी से लापता थे। 12 फरवरी को ही पुलिस ने कन्हैया को गिरफ्तार किया था। उमर और अनिर्बान ने मंगलवार की आधी रात को आत्म समर्पण कर दिया था।

इसके बाद दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन (आइसा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुचेता डे ने बताया कि तीनों ने पुलिस को पत्र लिखकर अपने कमरे का नंबर, छात्रावास और फोन नंबर का ब्योरा दिया है।

उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस मामले के सिलसिले में जब और जहां चाहे उन्हें गिरफ्तार कर सकती है या उनसे पूछताछ कर सकती है। सुचेता ने बताया कि जेएनयू के किसी भी छात्र ने देश की कानूनी प्रक्रिया से परहेज नहीं किया। लेकिन उन सबकों बिना किसी जांच के फर्जी वीडियो के आधार पर फंसाया जा रहा है। हम उमर, कन्हैया और अनिर्बान के इंसाफ के लिए लड़ेंगे।

पुरस्कार लौटाने वाले चमन लाल ने एक पुरस्कार मानव संसाधन मंत्रालय को भी लौटाया है। जेएनयू के कुलपति को लिखे पत्र में चमन ने लिखा है कि मैं अपना पुरस्कार, प्रशस्ति पत्र औऱ 50000 रुपए नकदी इनाम की राशि लौटाना चाहता हूं। उन्हें ये पुरस्कार 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गैर-हिंदी भाषी क्षेत्र के हिंदी लेखक के लिए दिया था।

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