JNU छात्रों पर आदेश न मानने का आरोप, नारे लगाने वाले बाहरी थे
JNU छात्रों पर आदेश न मानने का आरोप, नारे लगाने वाले बाहरी थे
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नई दिल्ली : 9 फरवरी को जवाहर लालनेहरु यूनिवर्सिटी के परिसर में हुई देश विरोधी घटना पर जेएनयू कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की है, जिसमें कहा गया है कि छात्रों ने नाफरमानी जरुर की, लेकिन नारे लगाने वाले बाहरी लोग थे। साथ ही यह भी कहा गया है कि संसद हमले का दोषी अफजल गुरु के संबंध में होने वाले कार्यक्रम के संबंध में जानबूझकर यूनिवर्सिटी प्रशासन को नहीं बताया गया।

इस मामले में यूनिवर्सिटी ने 21 छात्रों को शो कॉज नोटिस भेजा था। जिनमें से कन्हैया कुमार व उमर खालिद सहित 5 छात्रों से पूछा गया था कि क्यों उन्हें ऑर्डर न मानने का दोषी पाए जाने के बाद यूनिवर्सिटी से न निकाला जाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि साबरमती ग्राउंड कार्यक्रम के लिए चुनी गई असली जगह थी।

यहं से गंगा ढाबा तक रैली गई, वहां कन्हया, रामा नागा और अनिर्बान ने स्पीच तो दी, लेकिन हो-हल्ला में कुछ भी सुनाई नहीं दिया। जिन छात्रों को नोटिस भेजा गया, उसमें से कोई भी यूनिवर्सिटी प्रशासन के सामने पेश नहीं हुआ। जिन 5 छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, उन्हें दो सेमेस्टर के लिए रोका जा सकता है और स्कॉलरशिप व फेलोशिप भी रोकी जा सकती है।

साथ ही 20,000 रुपए फाइन भी लिया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चेहरे ढंके हुए 10-15 लोग बबाहर के भी थे। यही लोग नारे लगाने के भी दोषी है। कमेटी ने चश्मदीदों और सुरक्षा स्टाफों के बयानों के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की है।

यूनिवर्सिटी ने जेएनयू के तीन स्टूडेंट अनिर्बान भट्टाचार्य, उमर खालिद और आशुतोष कुमार को जो नोटिस भेजे हैं, उसमें उन्हें माहौल बिगाड़ने का दोषी पाया गया है। अनिर्बान और उमर खालिद को चार मामलों में दोषी पाया गया है। जबकि आशुतोष को तीन मामलों में कसूरवार ठहराया गया है।

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