दिल्ली: कश्मीर मुद्दे पर जारी बयानबाजी में अब भाजपा नेता जितेंद्र सिंह भी कूद पड़े है. उनका कहना है कि अगर कश्मीर मामले की कमान पूर्व गृहमंत्री सरदार पटेल के हाथ होती तो आज इतिहास कुछ और होता. सिंह इस मसले पर अपने बयान में बोले कि इतिहास में सच्चाई विरोधाभासी है. सच्चाई यह है कि सरदार पटेल को जम्मू-कश्मीर के मामलों से अलग रखा गया जबकि वो उस समय के गृहमंत्री थे. अगर नेहरू ने पटेल को जम्मू-कश्मीर मामला सुलझाने के लिए स्वतंत्रता दी होती जैसे उन्होंने अन्य रियासती मामले सुलझाए थे तो मुझे यकीन है कि भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास कुछ और ही होता.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पटेल का रियासतों के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट और साफ था. वह रियासतों को संभालने में पूरी तरह से सक्षम थे. अपने कौशल और रणनीति से उन्होंने कई रियासतों को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाया. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने सरदार पटेल को जम्मू-कश्मीर के मामलों से बाहर रखा था. उन्होंने कहा कि अगर इस रियासत की कमान पटेल के हाथ में होती तो जम्मू-कश्मीर का हिस्सा जो आज पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है, वह निश्चित रूप से भारत के पास होता.
केंद्रीय मेंत्री ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि नेहरू का मानना था कि कश्मीर मामलात को वह बेहतर समझते और जानते हैं. यही वजह है कि उन्होंने अपने गृहमंत्री को अन्य रियासतों की तरह जम्मू-कश्मीर की जिम्मेदारी नहीं दी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऐसा इसलिए भी हुआ, क्योंकि नेहरू के शेख अब्दुल्ला के लिए विशेष संबंध था. इसलिए वह उन पूर्वाग्रहों से ग्रसित थे. इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज ने अपने विवादित बयान में कहा है कि वल्लभ भाई पटेल हमेशा चाहते थे कि कश्मीर का विलय पाकिस्तान में हो जाए, लेकिन जवाहर लाल नेहरू की वजह से ऐसा नहीं हुआ है
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