झारखंड चुनाव: रघुवर दास ने पांच साल तक संभाली कमान, क्या इस बार पलट जाएगी बाजी?
झारखंड चुनाव: रघुवर दास ने पांच साल तक संभाली कमान, क्या इस बार पलट जाएगी बाजी?
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रांची: झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर पांच चरणों में हुए चुनाव के नतीजे आने शुरू हो चुके हैं और मतगणना का अधिकतम दौर चतरा में 28 राउंड और सबसे कम दो राउंड चंदनकियारी और तोरपा सीटों पर होने वाला है. ऐसे में झारखंड में 30 नवंबर से 20 दिसंबर तक पांच चरणों में मतदान हुआ था और झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर पांच चरणों में हुए चुनाव के नतीजे आने शुरू हो गए हैं. वहीं मतगणना का अधिकतम दौर चतरा में 28 राउंड और सबसे कम दो राउंड चंदनकियारी और तोरपा सीटों पर होगा. झारखंड में 30 नवंबर से 20 दिसंबर तक पांच चरणों में मतदान हुआ था. आप सभी को बता दें कि मुख्यमंत्री रघुवर दास वर्ष 1995 से यहां से जीतते आ रहे हैं और उनके खिलाफ उनके पूर्व-कैबिनेट सहयोगी सरयू राय इस बार मैदान में उतरे हैं.

ऐसे में राय ने पार्टी से टिकट कटने के बाद बगावत कर मुख्यमंत्री की राह का कांटा बनने का फैसला किया और अन्य महत्वपूर्ण सीटें दुमका और बरेट, जहां से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं. इसी के साथ दुमका में वह समाज कल्याण मंत्री लुइस मरांडी के खिलाफ मैदान में हैं. अगर बात करें अधिकतर एग्जिट पोल की तो उसमे बीजेपी बहुमत के आंकड़ों से दूर दिख रही है और पोल ऑफ पोल्स के अनुसार 81 सदस्यों की विधानसभा में हेमंत सोरेन की अगुवाई में सरकार बनती दिख रही है. वहीं सी-वोटर एग्जिट पोल की माने तो कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा को 35 सीटें मिल सकती हैं जबकि भाजपा को 32 सीटें मिलने की संभावना है. वहीं झामुमो गठबंधन को 34.2 फीसदी मत मिलने की संभावना है जबकि भाजपा को 37.3 फीसदी मत मिल सकते हैं. अब बात करें दास की तो उनकी पहचान झारखंड में पांच साल तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की है और बिहार से अलग होकर झारखंड बने 19 साल हो गए हैं लेकिन रघुवर दास ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो लगातार पांच साल तक मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे.

इसी वजह से मुख्यमंत्री पर हार का मिथक तोड़ने को लेकर लोग काफी एक्साइटेड हैं. वहीं झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने नारा दिया था, ''अबकी बार 65 पार.'' इसी के साथ बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस को बताया था, ''हम जानते हैं कि राज्य इकाई भी दास के खिलाफ है. यहां तक कि (पार्टी प्रमुख) अमित शाह भी इसके बारे में जानते हैं. लेकिन, हम मुख्यमंत्री बदलने का जोखिम नहीं उठा सकते. चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने से नुकसान हो सकता है और इसे हार स्वीकृति के रूप में देखा जा सकता है.''

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