नई दिल्ली : जे. जयललिता पर आय से अधिक संपत्ति रखे जाने के एक मामले में डीएम ने कर्नाटक उच्च न्यायाल के फैसले के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि कर्नाटक उच्च न्यायालय मामले की सुनवाई के लिए एक सरकारी वकील की नियुक्ति नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी तरह के आदेश देकर उच्च न्यायालय से कहा था कि मामले की सुनवाई के लिए वह सरकारी वकील भवानी सिंह की नियुक्ति नहीं कर सकती है।
मामले में जयललिता की जमानत समाप्त हो जाएगी। मिली जानकारी के अनुसार विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति को लेकर उच्चतम न्यायालय में जयललिता के खिलाफ शीर्ष अदालत में 12 मई के पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा मामले में फैसला सुनाया गया। इस दौरान जयललिता की जमानत अवधि समाप्त होने की बात कही गई।
मामले में विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने जायज नहीं ठहराया और उच्च न्यायालय से इस तरह की नियुक्ति नहीं किए जाने की बात कही। तमिलनाडु सरकार के पास भवानी सिंह को एसपीपी के तौर पर नियुक्त करने का अधिकार नहीं दिया गया है न्यायालय में कर्नाटक सरकार द्वारा सुना जा रहा है। एसपीपी की नियुक्ति का अधिकार तो कर्नाटक सरकार के पास ही है। दूसरी ओर पीठ ने कहा कि जस्टिस मदन बी. लोकुर ने विभिन्न निष्कर्षों का समर्थन करते हुए कहा कि न्यायालय के समक्ष नए सिरे से सुनवाई होना चाहिए।
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