देश के मशहूर उद्द्योगपति जमशेदजी नसरवानजी टाटा 03 मार्च 1839 को दक्षिण गुजरात में एक छोटे से शहर नवसारी में नसरवानजी टाटा और जीवनबाई के घर पैदा हुए थे। यह शहर उस समय बड़ौदा रियासत का हिस्सा था। जमशेदजी टाटा के पिता, नसरवानजी टाटा, पारसी पुजारियों के एक परिवार से सम्बंध रखते थे। यह परिवार 25 पीढ़ियों से पुजारियों का काम कर रहा था लेकिन उन्होंने व्यापार करने का निर्णय किया और वह बम्बई चले गए।
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इस उम्र में खड़ी कर ली खुद की कंपनी
बताया जाता है की उन्होंने एक छोटे व्यापारी के रूप में काम शुरू किया और सफल हुए। साल 1852 में जब जमशेदजी की आयु केवल 13 साल थी तो उन के पिता ने उन को बम्बई बुला कर एक स्थानीय स्कूल में दाखिल करा दिया। जमशेदजी टाटा ने अपने पिता के व्यवसाय में 29 साल की आयु तक काम किया और फिर वर्ष 1868 में 21,000 रुपये की पूंजी के साथ एक ट्रेडिंग कंपनी की स्थापना की।
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सादा जीवन और उच्च विचार
जानकारी के अनुसार टाटा बहुत धनवान होने बावजूद बेहद सादे इंसान थे। मुंबई में उनका घर, एस्प्लेनेड हाउस, उनके दूर के रिश्तेदारों सहित परिवार के सभी सदस्यों के लिए हमेशा खुला रहता था। वह बच्चों के साथ नरमी का बरताव करते थे लेकिन उन्होंने बच्चों को समय या पैसा बर्बाद करने की अनुमति कभी नहीं दी। वह हुमाता अर्थात अच्छे विचार, हुखता अर्थात अच्छे शब्द और हुवार्शता अर्थात अच्छे कर्मों के पारसी सिद्धांतों में विश्वास करते थे। धन होने और उच्च समाज से मेल जोल होने के बावजूद उन्होंने कभी शराब या अन्य मादक पेयों का सेवन नहीं किया।
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