देश के लिए 14 फरवरी का दिन काला दिन साबित हुआ. गुरुवार को देश के करीब 44 जवानों ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी. आतंकियों ने सुरक्षा बलों के काफिले को निशाना बनाते हुए बड़ा हमला किया. इस बड़े हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है. जिसने ये बड़ा आतंकी हमला किया उसका नाम आदिल अहमद डार है. आदिल पुलवामा जिले के ही काकपोरा का रहने वाला है.
देश के 44 जवाब शहीद हो गए है लेकिन इस पर अब तक राजनीति की जा रही है. विपक्षी नेता जमकर मोदी सरकार पर हमला बोल रहा है और सरकार दावा कर रही है कि इस हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. हमले के बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ये कहा कि जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी. सूत्रों की माने तो इस हमले में जितने भी जवाब शहीद हुए हैं उन्हें शहीदों का दर्जा नहीं मिलेगा ऐसा इसलिए क्योंकि सीआरपीएफ बीएसएफ, आईटीबीपी या ऐसी ही किसी फोर्स से जिसे पैरामिलिट्री कहते हैं उनके जवान अगर ड्यूटी के दौरान मारे जाते हैं तो उनको शहीद का दर्जा नहीं मिलता है.
वहीं अगर बात की जाए थलसेना, नौसेना या वायुसेना के जवानों की ही तो ड्यूटी के दौरान अगर ये अपनी जान दे देते हैं तो उन्हें शहीद का दर्जा मिलता है. सूत्रों की माने तो थलसेना, नौसेना या वायुसेना रक्षा मंत्रालय के तहत काम करता है तो वहीं पैरामिलिट्री फोर्सेज गृह मंत्रालय के तहत काम करते हैं. जानकारी के मुताबिक जो भी सुविधाएं सेना के जवानों को मिलती है वह सुविधा पैरामिलिट्री को नहीं दी जाती है. रिपोर्ट्स की माने तो अगर पैरामिलिट्री का जवान आतंकी या नक्सली हमले में अपनी जान की कुर्बानी देता है तो उसकी सिर्फ मौत होती है और उसे शहीद का दर्जा नहीं मिलता है. सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि पैरामिलिट्री के जवानों को पेंशन की सुविधा भी नहीं मिलती है.
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