श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद सबसे अधिक प्रतिक्रिया कश्मीर घाटी को लेकर थी। राज्य का यह इलाका शुरू से ही संवेदनशील रहा है। इसलिए सरकार ने ऐलान के बाद घाटी में तमाम तरह की बंदिशें लागू कर दीं। अब सरकार की नजर घाटी में तुरंत विश्वास बहाली के उपायों पर है। सरकार उन सभी योजनाओं की पहचान कर रही है जिनके नतीजे तुरंत जमीन पर दिखायी दे सकते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों से ऐसी सभी स्कीमों का चयन कर उन्हें प्रदेश में तेजी से लागू करने की संभावनाएं तलाशने को कहा है।
राज्य में धारा 370 की समाप्ति के बाद उत्पन्न स्थितियों को लेकर सरकार में लगातार मंथन चल रहा है। बीते सप्ताह ऐसी ही एक बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्र सरकार के सभी मंत्रियों की एक बैठक कर कश्मीर के विकास में सभी मंत्रालयों की भागीदारी पर जोर दिया। अमित शाह ने सभी मंत्रियों से स्कीमों की पहचान कर उन्हें प्रदेश में लागू करने की रूपरेखा तैयार करने को कहा है। जो मंत्री इस बैठक में शामिल नहीं हो पाए उन्हें बाद में एक अन्य वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने ब्रीफ किया।
जम्मू कश्मीर खासतौर पर घाटी में जिन केंद्रीय मंत्रालयों की भूमिका को काफी अहम माना जा रहा है उनमें पेट्रोलियम, अल्पसंख्यक मामले और मानव संसाधन विकास मंत्रालय शामिल हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय की उज्जवला योजना के बाकी देश में सफल क्रियान्वयन से सरकार काफी उत्साहित है। इसलिए मंत्रालय से इस योजना को घाटी में तेजी से लागू कराने की संभावनाएं तलाशने को कहा गया है। सूत्र बताते हैं कि इसी तरह अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय छात्र छात्राओं को दी जाने वाली स्कॉलरशिप जैसी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सरकार घाटी की अमन-चैन को लेकर काफी सजग है।
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